सूरत : बुनाई उद्योग को बचाने के लिए जीएसटी दर को यथावत रखने के लिए सीएम और वित्त मंत्री से चैंबर की पेशकश

सूरत : बुनाई उद्योग को बचाने के लिए जीएसटी दर को यथावत रखने के लिए सीएम और वित्त मंत्री से चैंबर की पेशकश

सूरत के बुनाई उद्योग को बचाने के लिए जीएसटी दर में परिवर्तन न करने की पेशकश चेम्बर ऑफ कोमर्स द्वारा मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से की गयी

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा वस्त्रों पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी गई है
वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 18 नवंबर 2021 को अधिसूचना संख्या 14/2021 केंद्रीय कर (कर की दर) जारी कर दिया गया है। जिसमें कपड़ा उद्योग की वैल्यू चेन के जीएसटी टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है। कपड़ा उद्योग में, पहले के जीएसटी कर स्लैब क्रमशः 18, 12, 5 और 5 प्रतिशत थे। जिसमें जीएसटी टैक्स स्लैब को बढ़ाकर क्रमश: 18, 12, 12 और 12 फीसदी कर दिया गया है। दूसरे शब्दों में, कपड़ा और कपड़ों पर जीएसटी की दर, जो पहले 5 प्रतिशत थी उसको केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कपड़ा उद्योग में जीएसटी कर की दर को  यथावत (अपरिवर्तित) रखने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और वित्त मंत्री कनुभाई देसाई को एक लिखित पेशकश भेजी है। 
चैंबर के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने अपनी प्रस्तुति में कहा कि भारत में कुल बुनाई इकाइयों में से 33 प्रतिशत इकाइयां अकेले सूरत में स्थापित हैं। जिला उद्योग केंद्र - सूरत के आंकड़ों के अनुसार सूरत में 21000 बुनाई इकाइयों में 7 लाख से अधिक पावरलूम मशीनरी हैं।  एम.एम.एफ.  (मेन मेईड फायबर) कपड़ा उत्पादन का 60 प्रतिशत भी अकेले सूरत में होता है, तो कपड़ा पर जीएसटी दर बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले का पूरे बुनाई उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
गरीब और मध्यम वर्ग के लिए लगभग 80 प्रतिशत साड़ी सूरत में बनाई जाती है और छोटे व्यापारियों द्वारा देश के गांवों में उपभोक्ताओं तक पहुंचाई जाती है। सरकार के इस फैसले से छोटे व्यापारियों को रोजगार का नुकसान भी होगा और बढ़ती कीमतों के कारण गरीबों द्वारा साड़ियों की खरीद पर भी रोक लगेगी। 
बुनाई उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सूरत में 18 लाख लोगों को रोजगार देता है और सालाना 1440 करोड़ मीटर कपड़ा का उत्पादन करता है। इस उद्योग के कारण दूसरे राज्यों के लाखों परिवार सूरत में बस गए हैं। इसलिए केंद्र सरकार के इस फैसले से सूरत में बेरोजगारी का एक बेहद गंभीर और जटिल सवाल खड़ा हो जाएगा। वहीं कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ने की संभावना है। बुनाई उद्योग में छह महीने का भुगतान चक्र होता है। इसके खिलाफ बुनकर उद्योगपतियों को हर महीने की 20 तारीख को जीएसटी देना होगा। इससे उद्योगपतियों को आर्थिक परेशानी होगी।
बुनाई उद्योग में आधुनिक मशीनरी में लगभग सूरत में 4 हजार करोड़ का नया निवेश आया है। जब सूरत आधुनिक बुनाई में एमएमएफ में चीन के साथ सीधी प्रतिस्पर्धा में है, तो केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद नया निवेश बह जाएगा, लेकिन साथ ही 50 प्रतिशत से अधिक बुनाई उद्योगपतियों का व्यापार और धंधा पूर्ण रूप से ठहर जायेगा। जिसका सीधा फायदा चीन, वियतनाम और बांग्लादेश को होगा। 
 बैंक एनपीए में वृद्धि होगी क्योंकि आधुनिक मशीनरी में नया निवेश बह गया है। कोविड-19 और मंदी से जूझ रहे बुनाई उद्योग की फिर मौत हो जाएगी, जिसका गुजरात राज्य की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। 50 प्रतिशत बुनाई इकाइयां बंद होने की आशंका से उद्योगपतियों और उनके परिवारों के  साथ कारीगरो और उनके परिवारों के भरण-पोषण का सवाल उठेगा।  बेरोजगार कारीगर सड़कों पर उतरेंगे तो शहर में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होगी। अगर आयात बढ़ता है तो कच्चा माल बनाने वाले कपड़ा उद्योगपतियों का व्यापार बंद होने का डर रहेगा। महंगाई बढ़ेगी और मांग घटेगी। सरकारी राजस्व में कमी आएगी और गुजरात का आर्थिक विकास ठप हो जाएगा। अत: उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सूरत के बुनाई उद्योग को बचाने के लिए मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से अनुरोध किया गया है कि कपड़ा और वस्त्रों पर जीएसटी दर में वृद्धि को तत्काल वापस लिया जाए और पुराने जीएसटी कर ढांचे को बनाए रखा जाए। इसलिए मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से कपड़ा क्षेत्र में पुराने जीएसटी कर ढांचे को बरकरार रखने का अनुरोध किया गया है। 
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