सूरत : आधार कार्ड बना 'आधार', तीन साल से लापता इंजीनियरिंग का छात्र कोरोना टीकाकरण के कारण मिला

सूरत : आधार कार्ड बना 'आधार', तीन साल से लापता इंजीनियरिंग का छात्र कोरोना टीकाकरण के कारण मिला

कोरोना काल में परिवार को बेटे का पता लगाने में हुई परेशानी

वैक्सीन लगवाने के बाद बेटे के बेंग्लोर में होने की जानकारी परिवार को हुई
तीन साल पहले सूरत से लापता इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे बेटे का उसके पिता द्वारा कोरोना टीकाकरण के लिए दिए गए आधार कार्ड से पता चल गया है। पिता वसंतभाई पटेल ने मीडिया को बताया कि उनका बेटा लकेश नासिक में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। लेकिन 3 साल 4 महीने पहले सूरत से अचानक गायब हो गया जिसकी काफी समय से तलाश थी। लेकिन परिवार को कोरोना काल के कारण बेटे को खोजने में मुश्किल हो रही थी। फिर मीडिया कर्मी सुशील कुंभार के आइडिया से  बेटे की जानकारी मिल गई।  इतना ही नहीं गांधीनगर आईबी के डीसीआई  भगवत सिंह वनार के मार्गदर्शन में पिता अपने बेटे के पास पहुंचे।
डीसीआई भगवत सिंह वनार ने मीडिया को बताया कि इस समय कोरोना का टीकाकरण चल रहा है। लापता लकेश के वैक्सीन लिये जाने की प्रबल संभावना थी, ऐसे में उसके आधार नंबर से उसकी पहचान की जा सके और पता चल सके कि यह किस शहर में है, इस आइडिया पर काम किया गया। इस मार्गदर्शन के बाद सुशील को उस शहर के बारे में जानकारी मिली जो लकेश के आधार कार्ड पर आधारित थी और आखिरकार मामले में सफलता मिल ही गई है। पता चला कि लापता लकेश बेंगलुरु में रह रहा था और परिजन वहां पहुंचे और उसे ढूंढ़ लिया। इस उपलब्धि पर परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।
वसंतभाई के अनुसार बेटा करीब तीन साल से लापता था। इसका पता लगाने के लिए कई प्रयास किए गए। लेकिन कहीं से सूचना नहीं मिली। फिर, सुशीलभाई और डीसीआई भगवत सिंह वनार के मार्गदर्शन और मदद के लिए धन्यवाद, मुझे आखिरकार मेरा बेटा मिल गया। हम उसके आधार कार्ड की जेरोक्स कॉपी लेकर आए जब हमें पता चला कि उसे कोरोना का टीका लगाया गया है और आखिरकार पता चला कि वह बैंगलोर में है। हम उससे मिले। वह पैसे कमाने के लिए बैंगलोर आया था और वर्तमान में डिजिटल मार्केटिंग क्षेत्र में नौकरी कर रहा है।
वसंतभाई ने कहा, "यह जानने के बाद कि हमारा बेटा बैंगलोर में है, हम बैंगलोर पहुंचे।" उसके मोबाइल नंबर पर रिंग करते हुए कहा, "बेटा, मैं तुम्हारा पापा बोल रहा हूं। तुम कैसे हो?" यह सुनकर लकेश चौंक गया। फोन पर ही इमोशनल हो गए। पापा, मैं आपके ऑफिस आने का इंतजार कर रहा हूं। हम वहां गए तो परिवार को देख लोकेश के चेहरे पर मुस्कान आ गई। कुछ पूछा नहीं, उससे मिलने की खुशी में सिर्फ 36 महीने का दर्द गायब हो गया।
उन्होंने आगे कहा कि उनका बेटा, जो पढ़ाई के दौरान छुट्टियां बिताने सूरत आया था, अपने गृहनगर नंदुरबार के लिए निकला था। लेकिन वह घर नहीं पहुंचा। तरह-तरह के विचार आ रहे थे। तमाम विविधयों से लेकर पुलिस तक की मदद मांगी गई। आखिर कार बेटा कोरोना टीकाकरण के लिए आधार कार्ड के लिंक किये जाने की तकनिक के चलते मिल पाया। हम वनार साहब और सुशीलभाई के आभारी हैं। 
Tags: