सूरत : रेपियर-एयरजेट जैसे अपग्रेडेड मशीनरी में तीन साल में 250 करोड़ से ज्यादा का निवेश

सूरत : रेपियर-एयरजेट जैसे अपग्रेडेड मशीनरी में तीन साल में 250 करोड़ से ज्यादा का निवेश

विस्कोस फिलामेंट यार्न का सबसे ज्यादा उपयोग सूरत में

वीविंग उद्योग में पिछले तीन साल दौरान रेपियर-एयरजेट जैसे मशीनरी में 250 करोड़ से ज्यादा का निवेश हुआ है। चीन से आनेवाले विस्कोस फिलामेंट यार्न अपग्रेडेड मशीन पर चल सकता है ऐसा स्थापित होने के बाद वीविंग में अपग्रेडेशन गति से हुआ।
सूरत विस्कोस वीवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेश पटेल ने बताया कि विस्कोस फिलामेंट यार्न का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सूरत में हो रहा है। हर माह करीबन 6 करोड़ मीटर फेब्रिक का उत्पादन हो रहा है। विस्कोस फिलामेंट यार्न के उपयोगकर्ताओं के लिए बड़ा अवरोध एन्टी सब्सिडी ड्यूटी का था, जो सरकार समक्ष पेशकश के बाद दूर हुआ है। एन्टी सब्सिडी ड्यूटी विस्कोस फिलामेंट यार्न पर लागू होता तो फेब्रिक इतना महंगा हो जाता कि वीवर ना तो फेब्रिक बेच सकते नहीं निर्यात कर सकते। क्योंकि चीन और विएतनाम के फेब्रिक के सामने इतना महंगा होता कि पूरे चेनल को ही बंद करना पड़ता। केंद्र सरकार ने यार्न की एकमात्र उत्पादक कंपनी को 2006 से 2017, 11 साल तक एन्टी डम्पींग ड्यूटी का प्रोटेक्शन दिया था।
विस्कोस फिलामेंट यार्न 2015-16 से धीरे-धीरे आना शुरू हुआ और रेपियर और एरजेट जैसे मशीनरी पर अच्छी क्वॉलिटी होने के कारण चल सकता है ऐसे ध्यान में आने के बाद वीविंग सेक्टर में विस्कोस के लिए सबसे ज्यादा मशीनरी में अपग्रेडेशन हुआ है। अगले सालों में भी हर साल 200 करोड़ से ज्यादा का निवेश इस सेक्टर में होगा।
चीन से माह करीबन 1500 टन विस्कोस फिलामेंट यार्न की आयात होती है। जिसमें से 70 फीसदी उपयोग अकेले सूरत में होता है। उद्योग का वार्षिक इस्तेमाल करीबन 75 हजार टन है। रेपियर, एरजेट और साधे लूम्स मिलाकर 16 हजार मशीने कीम, सूरत, सचिन और होजीवाला विस्ता में है। 1500 जितने विस्कोस वीवर की छोटी बड़ी शिकायते और प्रश्रों के निवारण के लिए एक अलग से एसोसिएशन भी बनाया गया है।
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