सूरत : नई सिविल अस्पताल में महिला का सफल ऑपरेशन, अंडाशय से 8 एवं गर्भाशय से 3 किलो के दो गांठ निकाली

सूरत :  नई सिविल अस्पताल में महिला का सफल ऑपरेशन,  अंडाशय से 8 एवं  गर्भाशय से 3 किलो के दो गांठ निकाली

डॉक्टरों को केवल इतना डर ​​था कि पेट फूलने के कारण गांठ कैंसर नहीं हो, जांच के दौरान गांठ सामान्य पाये जाने पर ऑपरेशन किया गया

सूरत सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने ढाई घंटे के ऑपरेशन में एक आदिवासी महिला के अंडाशय से 8 किलो एवं गर्भाशय से 3 किलो  के दो गांठ के साथ उसके पेट से 2 किलो चर्बी निकालकर 13 किलो वजन से मुक्त करने में सफलता हासिल की है।  डॉ. ध्वनि देसाई ने कहा कि  "आगे बढ़ते हुए, इस तरह के ट्यूमर से मृत्यु हो सकती है।  इतना ही नहीं, इस ट्यूमर का वजन 8-12 महीने में इतना बड़ा हो गया है। महिला को पहले निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां ऑपरेशन के 3.30 लाख की बात कहने पर परिवार के होश उड़ गए। उसके बाद नई सिविल अस्पताल में  लाया गया और बिना एक रुपया खर्च किए ऑपरेशन किया गया और महिला को दर्द से राहत मिली।
डॉ. ध्वनि देसाई ने बताया कि ललिताबेन शंकरभाई वसावा (उम्र- 35, निवासी गोधरा) को सर्जरी से गायनेक में रेफर किया गया था। पेट दर्द की शिकायत के साथ आई ललिताबेन की एमआरआई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि एक नहीं बल्कि दो ट्यूमर थे। एकमात्र डर यह था कि सूजन के कारण ट्यूमर कैंसर न हो, जिससे तमाम रिपोर्ट निकाला गया। जांच में गांठ सामान्य होने की जानकारी होने पर  सर्जरी और गायनोकोलॉजी के संयुक्त ऑपरेशन में अंडाशय से 8 किलो एवं गर्भाशय से 3 किलो का गांठ एवं चर्बी सहित कुल 13 किलो वजन कम करने में सफलता हासिल की है। 
इसके अलावा ललिताबेन की करीब 21 दिन बाद सर्जरी हुई। ललिताबेन के बहनोई  शंकरभाई  सूरत सिविल अस्पताल ले आया था। अविवाहित हैं और उसकी एक और बहन है। विधवा मां की ये दोनों बहनें पिता की मौत के बाद आर्थिक रूप से सहारा हैं। ललिताबेन को जब भर्ती कराया गया तो उनके शरीर में खून की मात्रा बहुत कम थी और उन्हें करीब 5 बोतल खून चढ़ाने की जरुरत पड़ी।  
शंकरभाई भारवाड़ (पीड़ित ललिताबेन के बहनोई) ने कहा कि वह गोधरा में रहते हैं और खेत मजदूर का काम कर परिवार का भरण पोषण करते हैं।  पिता की मृत्यु के बाद सारी जिम्मेदारी उनकी बड़ी बहन ललिता पर आ गई। वह काफी समय से पेट दर्द और अपच की शिकायत कर रही थी। वह स्थानीय डॉक्टरों से दवा लेकर जीवन जी रही थी।  दो महीने पहले अचानक दर्द असहनीय हो गया और उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया। जहां ऑपरेशन के 3.30 लाख खर्च बताने पर परिजनों के होश उड़ गए थे। उन्होंने एक रुपया खर्च किए बिना सिविल में ऑपरेशन कराया और दर्द से राहत मिली। 
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