सूरत जिला कलेक्ट्रालय और जिला पंचायत में 50 प्रतिशत से अधिक पद खाली

सूरत जिला कलेक्ट्रालय और जिला पंचायत में 50 प्रतिशत से अधिक पद खाली

सूरत कलेक्ट्रालय और जिला पंचायत में मंजुर पदों के सामने ५० प्रतिशत से भी अधिक पद रिक्त होने का खुलासा आरटीआई के माध्यम से हुआ।

दर्शन नायक द्वारा की गई आरटीआई में चौंकानेवाला खुलासा
सरकार रिक्त पदों पर नियुक्ती नही कर रही दुसरी ओर शिक्षित बेरोजगारी संख्या बढ़ रही है
सरकारी कार्यालयों में स्वीकृत स्थापना के खिलाफ समय-समय पर भर्ती नहीं होने वाले कई सरकारी कार्यालयों की मेजों पर धूल जम गई है। गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत में चाहे जिला पंचायत हो या कलेक्ट्रेट, सरकार जरूरत के मुताबिक नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं कर रही है, जिसका असर प्रशासन और विकास कार्यों पर पड़ रहा है। लगातार बढ़ते काम के बोझ के खिलाफ, सरकार केवल आउटसोर्स कर्मचारियों से काम चला रही है, जो  चिंता का विषय लगता है। राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत 915 रिक्त पदों के सामने 501 पदो पर ही नियुक्ती होने से 55 प्रतिशत पदरिक्त है जिसका सीधा असर प्रशासनि कार्य के साथ विकास पर पड रहा है।  उक्त विषय को लेकर सूरत जिला पंचायत के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और सहकारिता नेता दर्शन नायक द्वारा की गई आरटीआई में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। जिला समाहरणालय में संवर्ग-1 के कुल 26 पदों में से केवल 16 पद भरे गए हैं जबकि संवर्ग-1 के जिला आपूर्ति अधिकारी सहित 10 महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं। प्रभारी के नाम पर एक अन्य अधिकारी प्रभार देकर गाड़ी चलाई जा रही है। इसके अलावा कैडर-2 में कुल 40 पदों में से सिर्फ 16 पद ही भरे गए हैं जिससे पता चला है कि इस श्रेणी के कर्मचारियों की हालत काफी खराब है।  इस संवर्ग में 60 प्रतिशत से अधिक रिक्तियों के कारण कर्मचारियों पर काम का बोझ बना हुआ है। संवर्ग-3 में 303 कर्मचारियों की स्थापना स्वीकृत की गई है, जिसमें से केवल 183 कर्मचारियों को भरा गया है और 40 प्रतिशत पद रिक्त है।  तदनुसार, संवर्ग-3 में लिपिक और टाइपिस्ट सहित कुल 267 पदों में से केवल 118 पद ही  भरे गए हैं। इसके अलावा संवर्ग-3 में राजस्व तलाटी में कुल 189 रिक्तियों में से वर्तमान में केवल 62 रिक्तियां भरी गई हैं और आज भी 36 प्रतिशत रिक्तियां खाली हैं। इसके अलावा संवर्ग-3 में चालक के नौ रिक्त पदों के सामने नकद केवल एक पद भरा है, जबकि सेवक सिफाई के 81 पदों में से केवल 18 पद भरे है।
यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि "जिला पंचायत का अर्थ है विकास और समाहरणालय का अर्थ है प्रशासन", पूरे जिले के विकास और प्रशासन का मुख्य आधार इन्हीं दो कार्यालयों पर टिका है।  जिला पंचायत में अधिकांश पद खाली हैं और ऐसा ही हाल समाहरणालय (जिला कलेक्ट्रालय) का है।  राज्य सरकार स्थायी कर्मचारियों को काम पर रखने के बजाय ठेके की आउटसोर्सिंग करती रहती है। और यह पता चला है कि इन आउटसोर्स कर्मचारियों को अपने ही विश्वासियों को काम पर रखने के लिए अनुबंधित किया जा रहा है। इसलिए राज्य में दिन-प्रतिदिन शिक्षित बेरोजगारों का प्रतिशत भी बढ़ रहा है। 
Tags: