सूरत : एपीएमसी में अनियमितता का आरोप, सब्जियों के टम्पों चालकों से रोज वसूले जाते हैं हजारों रुपये

सूरत :  एपीएमसी में अनियमितता का आरोप, सब्जियों के टम्पों चालकों से रोज वसूले जाते हैं हजारों रुपये

आप का 8 फीसदी तक की अवैध रूप से दलाली करने का आरोप

सूरत की एपीएमसी गुजरात में अग्रणी एपीएमसी में से एक है। रोजाना लाखों रुपये का कारोबार करने वाली एपीएमसी में तरह-तरह के घोटालों के आरोप लगते रहते हैं। कुछ नेताओं के बीच वर्षों से चल रहे घोटालों के बावजूद सामने नहीं आई है। मात्र आरोप लगते हैं और फिर यह कम हो जाता है।  आम आदमी पार्टी के पार्षद द्वारा एपीएमसी में कुछ अनियमितताओं को लेकर आरोप लगाया गया है।  एपीएमसी में रोजाना हजारों रुपये की लूट हो रही है, लेकिन  प्रशासन  आज तक रोक नहीं लगा सकी है। 
ऐसे में आम आदमी पार्टी के पार्षद खुद एपीएमसी गए और कुछ व्यापारियों से बात की और उनका वीडियो शूट किया। जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि व्यापारियों का कितना कमीशन है। जब उन्होंने सब्जी व्यापारी से पूछा कि सब्जियों की कीमत कितनी है और उस पर उनकी दलाली कितनी है तो उन्होंने स्पष्टता के साथ कहा कि मेरी 8 फीसदी दलाली मैं लेता हूं। एपीएमसी की आम तौर पर 6% तक दलाली की वैधता होती है।
शिकायत यह भी है कि सब्जियों के बोरी का भार हर कांटे पर अलग-अलग दिखता है। इससे ऐसी स्थिति पैदा होती है जहां खरीदार को धोखा दिया जाता है। बड़ा सवाल यह है कि एक ही बोरे का वजन अलग-अलग वजन के कांटे पर अलग-अलग कैसे हो सकता है लेकिन सूरत के एपीएमसी में यह कई सालों से बेतरतीब ढंग से चल रहा है।
सब्जियों के साथ एपीएमसी में प्रवेश करने वाले लगभग 20 प्रतिशत टेंपो को प्रवेश पास दिया जाता है और शेष 80 प्रतिशत अवैध रूप से अंदर प्रवेश किये जाते हैं। उनके पास से चौकीदारों द्वारा वसूली किए जाते हैं। यह वसूली एपीएमसी के किस पदाधिकारी के पास पहुंचती है। इस बात को लेकर कई बार अंगुलियां उठ चुकी है।  एपीएमसी में रोजाना हजारों रुपये की लूट हो रही है, लेकिन इस लूट पर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। 
ऐसे में आम आदमी पार्टी के पार्षद धर्मेंद्र वावलिया ने कहा कि सूरत एपीएमसी ने चल रही लूट का पर्दाफाश कर दिया है। सभी एपीएमसी बाजारों में ब्रोकरेज कानूनी रूप से 6 प्रतिशत वसूला जाता है। लेकिन सूरत एपीएमसी बाजार में करीब आठ फीसदी लिया जा रहा है। बिचौलिए सब्जियां खरीद कर वहीं सब्जियों के दाम 20 फीसदी बढ़ा देते हैं और वहां के लॉरियों के सब्जी विक्रेताओं को बेच देते हैं।  इससे सब्जियां सामान्य वर्ग तक पहुंचते-पहुंचते  वास्तविक कीमत से 30 फीसदी महंगी हो जाती हैं। 
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