सूरतः कोरोनाकाल में सिविल अस्पताल के रेडियोडायग्नोसीस विभाग का महत्वपुर्ण योगदान

सूरतः कोरोनाकाल में सिविल अस्पताल के रेडियोडायग्नोसीस विभाग का महत्वपुर्ण योगदान

सूरत शहर में कोरोना की दोनों लहरों के दौरान नई सिविल अस्पताल में रेडियोडाग्नोसीस विभाग के कर्मचारीओंने राऊन्ड ध क्लोक कार्यरत रहकर कोरोना मरीजों की जांच और चिक्तिसा में महत्वपुर्ण योगदान दिया।

कोरोना की प्रथम और दुसरी लहर में 36572 एक्सरे, 1484 सीटीस्कैन और 2472 सोनोग्राफी हुई
किसी भी बीमारी के सफल और सटीक इलाज के लिए सबसे पहले उस बीमारी की पहचान करना बहुत जरूरी है। जिस प्रकार शरीर में कोरोना की उपस्थिति के लिए RTPCR परिक्षण आवश्यक है, उसी प्रकार से शरीर में कितने प्रमाण में कोरोना संक्रमण फैला है यह जानना कि लिए रेडियोडायग्नोसिस का विशेष महत्व है। ताकि मरीज को तुरंत इलाज देकर उसकी जान बचाई जा सके।  नई सिविल अस्पताल के रेडियोडायग्नोसिस विभाग ने दोनों कोरोना लहरो में 24 घंटे राऊन्ड ध क्लोक सीटी स्कैन, एक्स-रे और सोनोग्राफी करके कोरोना के निदान और उपचार में अहम योगदान दिया है। यहां का स्टाफ द्वारा कोरोना की पहली और दूसरी लहर 36572 एक्स-रे, 1484 सीटी स्कैन, 2472 सोनोग्राफी की गई। इसके अलावा, म्यूकोर माइकोसिस के 200, एमआरआई 70 और रंग  डॉपलर की 78 रिपोर्ट भी की। विभाग के कुल 84 कर्मचारियों में से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं जो दिन-रात देखे बिना इमेजिंग कि काबिलेदाद कामगीरी की है।
 सूरत के नई सिविल में राज्य की एकमात्र विश्व स्तरीय तकनीक मशीन फिलिप्स 256 स्लाइस सिटी स्कैनर उपलब्ध है, जो सिर्फ 05 मिनट में कोविड मरीज की एचआरसीटी रिपोर्ट देती है। सूरत को छोड़कर राज्य की अन्य किसी सरकारी अस्पताल में इस प्रकार की उन्नत मशीन उपलब्ध नहीं है।  कोरोना की दूसरी लहर मरीजों की अभूतपूर्व संख्या तक पहुंचने में यह मशीन उनके शीघ्र निदान के लिए वरदान साबित हुई है।
रेडियोडायग्नोसिस और इमेजिंग विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ.  पूर्वी देसाई ने जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना की पहली लहर में रोगियों की आमद के कारण स्टेम सेल भवन और भूतल पर रेडियोलॉजी विभाग शुरू करने की आवश्यकता हुई। ग्राउन्डफ्लोर पर 500 एमएम एक्स-रे मशीन और डिजिटल एक्स-रे मशिन की सुविधा स्थापित की गई। साथ ही कोरोना के भर्ती मरीजों के बिस्तर पर जाकर बेडसाइड सोनोग्राफी और एक्स-रे चेस्ट के लिए पोर्टेबल सोनोग्राफी और एक्स-रे मशीन राज्य सरकार के सहयोग से तत्काल नियमित रूप से खरीदारी की गई। जिसके संचालन हेतु  स्टेमसेल बिल्डिंग में चौबीसों घंटे इसके प्रबंधन के लिए रेडियोलॉजिस्ट, तकनीशियन तथा सेवक दल तैनात किए गए। जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर  संक्रमण की परवाह किए बिना एक्स-रे और अन्य रिपोर्ट देने के साथ अपना कार्य किया।
इसके अलावा डॉ पूर्वी देसाई का कहना है कि जब कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की आरटीपीसीआर की जांच की जाती है तो रिपोर्ट रिजल्ट आने में 24 से 48 घंटे का समय लगता है।  इस दौरान एक्स-रे चेस्ट द्वारा फेफड़ों में संक्रमण का कितना प्रतिशत फैलाव है वह आसानी से जाना जाता है।
ताकि मरीज का तेजी से इलाज शुरू किया जा सके। एचआरसीटी थोरैक्स द्वारा सीटी स्कोर (सीटी सिवियर स्कोर )  से कोरोमा मरिज को पिछले 5 से 10 दिनों में हल्के, मध्यम या गंभीर कोरोनरी धमनी रोग गंभीर मामलों को आसानी से अलग किया जा सकता है। जो कि कोविड के विकास को पहचान कर आगे के उपचार के लिए बहुत उपयोगी है। शरीर की धमनियों का निदान, सीटी हृदय एंजियोग्राफी, फुफ्फुसीय थ्रोम्बोम्बोलिज़्म की पहचान की जाती है ताकि समय पर उपचार दिया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहली लहर के बाद छह डिजिटल पोर्टेबल मशीनें दी हैं। जिससे मरीज के पास जाकर  जल्दी और समय पर जांच किया जा सकता है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में 36572 एक्स-रे और 1484 सीटी स्कैन के साथ ही 2472 सोनोग्राफी की गई। इस विभाग के 19 रेजिडेंट डॉक्टर, 04 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर, 9 फैकल्टी, 21 टेक्नीशियन, 8 सर्वन्टड, 4 सहायक मिलाकर कुल 84 लोगो का स्टाफ कार्यरत था जिसमें से 60 प्रतिशत कर्मचारी कोरोनाग्रस्त होने के बाद स्वस्थ हुए और पुन्ः सेवारत हुए। 
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