सूरत : कोरोना के कठिन काल में कमाई छोड़ मुफ्त में कर रहे है मरीजों का इलाज

सूरत : कोरोना के कठिन काल में कमाई छोड़ मुफ्त में कर रहे है मरीजों का इलाज

महामारी के दौरान मरीजों की अचानक से संख्या बढ़ जाने के कारण निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने दी सरकारी अस्पतालों और आइसोलेशन सेंटर में निशुल्क सेवा

कहते है की डॉक्टर भगवान का ही दूसरा रूप है। कुछ ऐसा ही दिखा है कोरोना महामारी के इस कठिन समय में जहां डॉक्टरों ने दिन-रात देखे बिना मरीजों की सेवा की थी। जनसेवा ही प्रभुसेवा के मार्ग पर चलकर इन लोगों ने बीमार मरीजों की सेवा कर कई लोगों को मौत के मुंह से निकाला है। कुछ इसी राह पर चलने वाले सूरत के 85 डॉक्टरों ने भी अपने डॉक्टर धर्म का पालन करते हुये सिविल और स्मीमेर अस्पताल में निशुल्क सेवा प्रदान की थी। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब अचानक से मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ्ने लगी, तब इन डॉक्टरों ने बिना किसी शुल्क के सिविल, स्मीमेर अस्पताल तथा शहर के विभिन्न आइसोलेशन सेंटर में अपनी सेवा दी थी। 
निजी अस्पतालों में काम करने वाले इन डॉक्टरों ने महामारी के इस कठिन समय में मरीजों की सेवा को अपने से ऊपर रखा। जब अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर बढ़ रहे मरीजों की संख्या तक नहीं पहुँच पा रहे थे। तब निजी अस्पतालों में काम करने वाले इन डॉक्टरों ने किसी भी प्रकार के चार्ज के बिना मरीजों की सेवा में लग गई थी। बिना किसी चार्ज के इस तरह से सिविल में 44, स्मीमेर में 25 और आइसोलेशन सेंटरों में 16 डॉक्टरों ने अपनी सेवा दी थी। 
इस बारे में बात करते हुये डॉ. हितेश इटालिया कहते है की जब भी वह मरीजों को देखने जाते तब मरीज उनसे पूछते की शाम को भी आप ही देखने आओगे ना, यह सुनकर उन्हें काफी खुशी होती। कोरोना काल में मरीजों को सबसे अधिक सहानुभूति की जरूरत होती है। ऐसे समय में वह मरीजों का आत्मविश्वास बढ़ाते और उन्हें किसी भी तरह की चिंता ना करने को कहते। आगे भी जरूरत पड़ने पर वह सब बिना किसी शुल के सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवा देने के बारे में संकल्पबद्ध है।