सूरत : सिविल अस्पताल में कोरोना काल में हज़ारों RT-PCR टेस्ट करने वाली महिलाओं की इस टीम को सलाम

सूरत : सिविल अस्पताल में कोरोना काल में हज़ारों RT-PCR टेस्ट करने वाली महिलाओं की इस टीम को सलाम

कोरोना की दूसरी लहर में मात्र तीन महीनों में किए थे 1.26 लाख परीक्षण

देश भर में कोरोना के कारण सभी की परिस्थिति काफी बिगड़ी हुई है। ऐसे में हर फ्रंटलाइन वर्कर अपनी पूरी क्षमता से कोरोना के मरीजों की सेवा कर रहे है। हालांकि इन सभी फ्रंटलाइन वर्करों में महिला वर्करों की सेवा को बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। घर-परिवार, पति, बच्चों की जिम्मेदारियों के साथ जिस तरह महिलाओं ने इस महामारी के समय में अपने दायित्वों का वहन किया है, वह वाकई काबिले तारीफ है। कुछ ऐसी ही महिलाओं की बात आज हम आपके साथ करने जा रहे है। 
न्यूज वेबसाइट Meranews.com के अनुसार, सूरत में कोरोना के समय नई सिविल अस्पताल में मरीजों की संख्या सबसे अधिक रही, इस दौरान लोगों की जांच कर के वह संक्रमित है या नहीं इसके लिए उनका RT-PCR टेस्ट करने के कार्य को इन महिलाओं ने बखूबी किया। बिना घड़ी के कांटो को देखे दिन के 12 से 15 घंटो तक काम कर इन महिलाओं ने अपनी ज़िम्मेदारी पालन करने की योग्यता को साबित किया है। बता दे की सिविल की माइक्रोबायोलॉजी के इस विभाग में 90 स्टाफ है। जिसमें डॉक्टर, तकनीकी स्टाफ, कम्प्युटर ऑपरेटर और सर्वण्ट सहित 90 प्रतिशत स्टाफ महिलाओं का है। हर दिन इस लैब में 2500 से 3000 सैंपल का परीक्षण करवाया जाता है। मरीज की रिपोर्ट के आधार पर ही उसका इलाज करवाया जा सकता है। ऐसे में सैंपल की जांच पर ही मरीज का भविष्य टीका हुआ है ऐसा कहा जा सकता है। जिसके चलते लैब के स्टाफ की ज़िम्मेदारी भी काफी बढ़ जाती है। इस बारे में बात करते हुये माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड डॉ. सुमैया मुल्ला कहती है कि पहली और दूसरी लहर के दौरान आजतक उनके कर्मचारीयों ने लगभग 2.65 लाख आरटी-पीसीआर टेस्ट किए है।
आगे बात करते हुये डॉ सुमैया कहती है कि अधिकतर महिला स्टाफ बिना अपनी जान कि परवा किए बिना 10 से 12 घंटे पीपीई किट पहनकर अपनी ड्यूटी करते है। इस दौरान उनके 10 कर्मचारी कोरोना संक्रमित भी हुये थे। हालांकि ठीक होने के बाद वह फिर से अपनी ड्यूटी से वापिस जुड़ गए थे। डॉ सुमैया कहती है कि मार्च 2020 के दौरान जब कोरोना के केसों में तेजी से इजाफा हुआ था। तब सूरत शहर के अलावा अन्य जिलों के लोग भी परीक्षण करवाने वही आते थे। हालांकि इसके बाद निजी लैब को भी पर्मिशन मिलने लगी और उनके वहाँ टेस्टिंग शुरू हुई। हालांकि तब तक पूरे दक्षिण गुजरात के कोरोना टेस्टिंग की ज़िम्मेदारी उन्ही के लैब पर आ गई थी।
डॉ सुमैया आगे कहते है कि कोरोना कि दूसरी लहर में भी मात्र तीन महीनों के समय में उन्होंने 1.26 लाख केस दर्ज किए थे। इसके अलावा म्यूकरमायकोसिस के भी हर दिन 10 सैंपल का परीक्षण कर रहे है। कोविद टेस्टिंग के लिए नियुक्त किए गए नोडल ऑफिसर और प्रोफेसर डॉ. नीता खंडेलवाल कहती है कि दक्षिण गुजरात के तापी, वलसाड और नवसारी जैसे हिस्सों में RT-PCR लैब शुरू करने की मंजूरी मिलने के बाद यहाँ के डॉक्टरों द्वारा ही उन्हें ट्रेनिंग दी गई थी। विभागीय प्रमिख डॉ डॉ सुमैया के मार्गदर्शन में कार्य कर रहे सभी कर्मचारी टेस्टिंग के लिए काफी महत्व की ज़िम्मेदारी निभाते है।
बता दे की RT-PCR मतलब रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलिमर्स चैन रिएक्शन टेस्ट, जिसके द्वारा व्यक्ति के शरीर में कोरोना है या नहीं उसकी जांच की जा सकती है। यह टेस्ट दुनिया के हर देशों में 100 प्रतिशत विश्वसनीय माना जाता है।