हमारी परंपरा अनुसार कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार करने दिया जाए; पारसी समुदाय ने की मांग

हमारी परंपरा अनुसार कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार करने दिया जाए; पारसी समुदाय ने की मांग

लाश को अग्निदाह या दफन करने के लिए बाध्य नहीं करने की गुहार, फिलहाल कोरोना गाइडलाइन के तहत सभी मृतदेहों का किया जा रहा है अग्निदाह

सूरत की पारसी पंचायत ने गुजरात हाईकोर्ट में पारसियों के मृत देह की अग्नि संस्कार या दफन विधि को लेकर याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि पारसियों कोरोना वायरस के कारण जिन पारसी लोगों की मौत हो जा रही है। उनकी अंतिम विधि पारसी परंपरा के अनुसार से करने की छूट देनी चाहिए। उन्हें अग्नि संस्कार या दफन विधि के लिए बाध्य नहीं किया जाए। याचिका में दावा किया गया है कि अभी तक कोई ऐसे वैज्ञानिक तथ्य नहीं आए हैं जिसमें कि कोरोना मृतक के शरीर से संक्रमण फैले होने की जानकारी मिली हो।
कोरोना की महामारी के कारण इन दिनों मरीज की मौत के बाद उसके शरीर में से वायरस नहीं फैले इसलिए हिंदू सिवाय अन्य धर्म के मरीजों को मृतदेह को भी अंतिम संस्कार के तौर पर अग्निदाह दिया जा रहा है। पारसी समाज में मृतको की अंतिम विधि अलग होती है। इसे दोखमनसिन कहा जाता है। जिसमें की मृत देह को जलाया या दफनाया नहीं जाता। इसलिए सूरत पारसी पंचायत ने गुजरात हाईकोर्ट में गुहार लगाई है और मृतकों के अंतिम विधि में अग्नि संस्कार या दफन नहीं करने को कहा है।
आपको बता दें कि पारसियों की अंतिम विधि जहां की जाती है वह स्थान एक बगीचे के जैसा होता है। यहां उनके शव की अंतिम विधि की जाती है। पारसी धर्म में मृतक को जलाया नहीं जाता या दफनाया भी नहीं जाता। इसी तरह नदी में भी नहीं बहाया जाता। यदि किसी की मौत हो जाए तो उसके मृत शरीर को एक टावर पर लटका दिया जाता है, ताकि गिद्ध अपना भोजन बना सके।