सूरत : फेफड़ों में 80 प्रतिशत इन्फेक्शन होने के बावजूद कोरोना के हराया, सिविल अस्पताल का माना आभार
By Loktej
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लापरवाही के कारण नहीं करवाया था समय पर कोरोना टेस्ट, गंभीर अवस्था में हुये अस्पताल में भर्ती
सूरत में कोरोना काफी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि अभी भी कई लोगों द्वारा कोरोना के नए स्ट्रेन को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। शुरुआती लक्षण दिखने के बावजूद कई लोग इलाज और टेस्ट करवाने में आनाकानी बरत रहे है। जिसके कारण उन्हें गंभीर परिणाम भी भुगनते पड़ रहे है। कुछ ऐसा ही हुआ सूरत के पांडेसरा इलाके में रहने वाले धर्मेंद्र यादव के साथ। हालांकि अच्छी बात यह है की वह ठीक होकर अब वापिस आ चुके है। धर्मेंद्र बताते है कि कोरोना के प्राथमिक लक्षण के बारे में जानकारी होने के बावजूद उन्होंने रिपोर्ट करवाने में लापरवाही दिखाई, जिसके कारण उनकी स्थिति बिगड़ी।
धर्मेंद्र कहते है कि जब वह सिविल में भर्ती हुये तो उनके फेफड़ों में 80 प्रतिशत इन्फेक्शन फ़ेल गया था। हालांकि सिविल के डॉक्टर उनके लिए भगवान बनकर आए और उन्हें बचा लिया। धर्मेंद्र कहते है कि सिविल में उन्हें दवा, खाना और गरम पानी सबकुछ समय पर मिला। इसके अलावा हर दिन परिवार द्वारा वीडियो कॉल पर भी बात होती थी। जिसके कारण उनके अंदर भी एक विश्वास था। सभी स्टाफ भी उनको परिवार का सदस्य मानकर ही सेवा कर रहे थे। इस तरह अच्छी देखभाल के कारण ही वह ठीक हो पाये है। इसलिए यदि आज वह जिंदा है तो वह मात्र सिविल के डॉक्टरों कि वजह से।
स्टेमसेल बिल्डिंग में काम करने वाले डॉ संदीप काकलोतर ने कहा कि जब धर्मेंद्र भाई अस्पताल में आए तो उनकी हालत काफी गंभीर थी। उनका कोरोना रिपोर्ट पॉज़िटिव था और खून में ऑक्सीज़न का प्रमाण भी कम होकर मात्र 60 प्रतिशत जितना रह गया था। इसलिए उन्हें आईसीयू वोर्ड में बायपेप पर शिफ्ट कर दिया गया। जिसके बाद उनका सिटी स्कैन करवाया गया, जिसमें फेफड़ों में उनका इन्फेक्शन 80 प्रतिशत बताया। लगातार 15 दिन तक बायपेप पर रखने के बाद उनकी तबीयत में कुछ सुधार देखने मिला। जिसके बाद उन्हें ऑक्सीज़न पर शिफ्ट किया गया।
धर्मेंद्र भाई के इलाज में सरकार कि गाइडलाइन के अनुसार रेमड़ेसिविर के डोज़ और खून पतला करने के इंजेक्शन दिये गए थे। इसके अलावा अन्य सभी सावधानियाँ भी बरती गई थी। जिसके चलते वह कोरोना मुक्त हो गए और 27 तारीख को उनको डिस्चार्ज कर दिया गया।
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