अपने तीन बालकों को भूल कर यह डॉक्टर दंपत्ति कर रहे है लगातार काम

अपने तीन बालकों को भूल कर यह डॉक्टर दंपत्ति कर रहे है लगातार काम

मरीज द्वारा दिये गए आशीर्वाद ही सबसे बड़ा पारितोषिक - डॉक्टर

"डॉक्टर का असली धर्म मरीजों का इलाज करना और उसे जल्द से ठीक करना होता है। फिलहाल हमारी प्राथमिकता भी यही है। हमारे बच्चों से अधिक अभी हमारे लिए इन मरीजों को स्वास्थ्य प्रदान करना है।" यह उद्गार है डॉ केतन और डॉ शीतल पिपलिया के, जो रात-दिन समरस अस्पताल में कोरोना से संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे है। 
राज्य में स्थानीय चुनावों के बाद से ही अचानक से कोरोना के केसों ने अचानक से इजाफा होने लगा। जिसके चलते तंत्र द्वारा समरस हॉस्टल में डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर शुरू किया गया। जहां डॉ पिपलीया और उनकी टीम लाइन फ्लाशिंग, ऑक्सीज़न प्रेशर, वॉल्यूम और टेस्टिंग सहित की सभी इंपोर्टेंट काम कर रही है। इसके अलावा मरीजों के लिए हमेशा ऑक्सीज़न का स्टॉक बना रहे इसके लिए डेप्युटी कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के साथ संकलन भी बनाए रखना पड़ता है। 
डॉ केतन पिपलिया के साथ ही उनकी फिजियोलोजिस्ट पत्नी डॉ शीतल पिपलिया जो की पीडीयू कॉलेज में एसोशिएट प्रोफेसर है वह भी फिलहाल समरस हॉस्टल में फ्लोर मेनेजर के तौर पर सभी जिम्मेदारियाँ निभा रही है। इसके अलावा अपनी 12 साल की पुत्री और 10 साल के ट्विन्स की ज़िम्मेदारी भी वह काफी अच्छे तरीके से निभा रही है। बच्चों के भोजन से लेकर उनके रोज बरोज के काम भी वह बखूबी कर रही है। इस तरह एक डॉक्टर के साथ-साथ एक माता की ज़िम्मेदारी वह कर रही है। 
समरस की पूरी टीम को श्रेय देते हुये डॉ पिपलिया कहते है की सभी स्टाफ काफी समर्पित है और एकदूसरे के साथ संकलन कर काफी अच्छे से काम कर रहे है। हॉस्टल में आने वाले सभी मरीज जल्द से जल्द ठीक होकर घर जाये इस आशा से वह काम कर रहे है। डॉ पिपलिया कहते है की जब मरीज ठीक होकर घर जाने लगता है तो विदाई के समय वह जो आशीर्वाद देकर जाता है वही उनके लिए सबसे श्रेष्ठ पारितोषिक है।