गुजरात भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी आर पाटिल द्वारा इंजेक्शन वितरण पर हो रही आलोचना से दुःखी विधायक हर्ष संघवी का खुला पत्र, पढ़ें

गुजरात भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी आर पाटिल द्वारा इंजेक्शन वितरण पर हो रही आलोचना से दुःखी विधायक हर्ष संघवी का खुला पत्र, पढ़ें

विधायक ने आलोचना करने वालों को लिया आड़े हाथों

१० अप्रेल को सूरत स्थित भाजपा कार्यालय से शहर के कोरोना के जरूरतमंद मरीजों को रेमडेसीवीर इंजेक्शन निःशुल्क दिये गये। सरकारी अस्पतालों और निजी अस्पतालों के पास इस इंजेक्शन का स्टॉक खत्म हो गया था। ऐसे में गुजरात प्रदेश भाजपा अध्यक्ष द्वारा अपने सूत्रों से इस इंजेक्शन को प्राप्त कर मरीजों में वितरीत करने पर राजनीति गर्मायी और विरोध पक्षों ने आलोचना की। इसी घटनाक्रम के बाद सूरत के मजूरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हर्ष संघवी ने एक खुला पत्र लिखकर अपनी व्यथा व्यक्त की। पढ़ें गुजराती समाचार पोर्टल खबरछे.कॉम में प्रकाशित इस पत्र का हिंदी अनुवादः

प्रिय सूरत वासियों,
आज मैं आपको पूरे दिन के अपने अनुभवों के आधार पर एक पत्र लिखकर अपना दुख व्यक्त करना चाहता हूँ। आप मेरे सुख-दुःख के साथी रहे हैं। आपने हमेशा अच्छे कामों के लिए प्यार और शुभकामनाएं भेजी हैं, और मेरे काम में त्रुटियों की समीक्षा करके लगातार बेहतर किया है। इसलिए मैं आपको एक रिश्तेदार के रूप में यह पत्र लिख रहा हूं।
जिस काम की कल प्रशंसा की गई थी, आज उसी काम के लिए कुछ असंतुष्ट लोग मेरी आलोचना कर रहे हैं। इससे मुझे आज दुख की अनुभूति हो रही है। हमेशा समाज के लिए तैयार रहने वाले हमारे प्रदेश अध्यक्ष श्री सी आर पाटिल साहब इतनी कठिन परिस्थिति में लोगों की पीड़ा को समझते हैं और उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए इंजेक्शन उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं, तो क्या ऐसे समय में माननीय सी आर पाटिल की आलोचना जायज है या फिर हम सबको उनका आभारी होना चाहिए?
मेरे कुछ सहज प्रश्न हैं। क्या इंजेक्शन को बेचा गया? किसी पार्टी या नेता ने इससे रुपये कमाए? जब इंजेक्शन के वितरण के लिए व्यवस्था करके रोगियों के रिश्तेदारों को इंजेक्शन प्रदान किए गए थे, तो उनके चेहरे पर संतुष्टि क्या व्यर्थ थी? इंजेक्शन के लिए धूप में घंटों तक लाइन में खड़े रिश्तेदारों पर क्या बीतती है, इस बारे में व्यवधान पैदा करने वाले क्या जानें? ऐसे कितने रोगियों के रिश्तेदारों के बजाय, क्या ये आलोचक खुद कभी इंजेक्शन पाने की कतार में खड़े थे? आपने कितनी बार सिविल अस्पताल का दौरा किया और लोगों से उनके हालचाल पूछे? (इन सवालों को पढ़ने के बाद, यदि असंतुष्ट लोग सेवा के लिए आते हैं, तो मान लें कि वे यह दिखाने के लिए आते हैं कि वे लोगों की परवाह करते हैं।)
यह काम तो हमारा कर्तव्य था और हमेशा रहेगा। अगर इन विघ्नसंतोषी लोगों पर लोगों को भरोसा होता तो वे आज घर पर नहीं बैठते। अगर ये सारे काम सोनू सूद करते हैं, तो वह असली हीरो हैं और अगर कोई राजनेता करता है, तो उसका उद्देश्य वाहवाही लूटना है? हम यह क्यों भूल जाते हैं कि लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को वापस घर भेजने के लिए सूरत से ट्रेन शुरू करने में माननीय सी आर श्री पाटिल की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। और साथ ही लाखों लोगों को भोजन पहुंचाने, सिविल अस्पतालों में बिस्तरों की क्षमता बढ़ाने, कोविड अस्पतालों को शुरू करने कोविड देखभाल केंद्र शुरू करने, वित्तीय, श्रमशक्ति, और ऑक्सीजन, चिकित्सा जैसी सुविधाएं प्रदान करने का कठिन काम किया है।
यह आलोचना का समय नहीं है, यह समर्थन और सहयोग का समय है। यह समय मदद करने और पक्ष में खड़ा होने का है। हम इस तरह की आलोचना से दुखी नहीं हैं क्योंकि ऐसे लोग ही होते हैं जो हमें अपना काम बेहतर तरीके से करने की सूझ और दृढ़ संकल्प देते हैं।
असंतुष्ट लोगों को उनकी नकारात्मकता मुबारक। मेरे सूरतवासियों को सूरत को खूबसूरत बनाने की जिद ही हमारी पूंजी और ताकत है।
हर्ष संघवी
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