'हम भी इंसान हैं, मशीन नहीं!', सूरत सिविल अस्पताल के रेसिडेंट डॉक्टरों का दर्द

'हम भी इंसान हैं, मशीन नहीं!', सूरत सिविल अस्पताल के रेसिडेंट डॉक्टरों का दर्द

मरीज़ के रिश्तेदार के साथ झड़प के बाद हड़ताल पर उतरे, पुलिस बंदोबस्त करने के बाद ड्यूटी पर लौटे

सूरत में कोरोना के केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। जिसके कारण मरीजों और डॉक्टरों के बीच आए दिन घर्षण होने के मामले भी सामने आ रहे हैं। इसी बीच सिविल की जुनी अस्पताल बिल्डिंग में शनिवार शाम को एक मरीज की मौत होने के कारण मरीज के परिजन और रेसिडेंट डॉक्टर के साथ घर्षण पैदा हुआ। जिसके बाद सभी के सभी रेसिडेंट डॉक्टर काम छोड़कर मेडिकल आईसीयू के बाहर पुलिस प्रोटेक्शन की मांग के साथ धरने पर बैठ गए।
विस्तृत जानकारी के अनुसार, सर्जरी विभाग के दूसरे साल के रेसिडेंट डॉक्टर धर्मेश चौहान की जुनी अस्पताल बिल्डिंग में ड्यूटी थी। उसी समय दौरान वहां एक कोरोना के मरीज की मौत हो गई। तब मरीज के मृत शरीर को को शव वाहिनी में भेजते समय मृतक के परिजनों ने डॉक्टरों पर गलत आक्षेप किए थे और वहां हाजिर डॉक्टर धर्मेश के साथ गैर बर्तन किया था। इस दौरान वहां का सिक्योरिटी गार्ड मात्र और मात्र उनको देखते रहा, तभी दूसरे रेसिडेंट डॉक्टर भी वहां पर डॉक्टर धर्मेश के समर्थन में दौड़ आए। 
इस घटना के बाद सभी रेसिडेंट डॉक्टर जब तक पुलिस प्रोटेक्शन नहीं मिले तब तक ड्यूटी पर वापस नहीं आने की मांग के साथ मेडिकल आईसीयू के बाहर धरने पर बैठ गए। डॉक्टरों ने कहा कि हम मजदूर की तरह काम कर रहे है। स्टाफ की कमी के कारण एक-एक डॉक्टर 250-250 मरीजों को सँभाल रहा है। आईसीयू में भी एक डॉक्टर के पास 50 से अधिक मरीज पड़े है। पिछले 1 साल से हमसे लगातार काम करवाया जा रहा है। हम भी इंसान हैं कोई मशीन नहीं, सरकार को भी यह बात समजनी चाहिए।
रेसिडेंट डॉक्टरों के इस तरह धरने पर जाने के बाद जेडीए के प्रमुख जिग्नेश भाई ने RAO ऑफिस और ग्राउंड फ्लोर के एच-0 और ई-0 वोर्ड के पास मात्र एक-एक गेट खुले रखकर दो-दो पुलिसकर्मी और दो होमगार्ड रखने की बात काही थी। इसके अलावा पहले और चौथे माले पर राउंड-ध-क्लॉक दो दो पुलिसकर्मियों का बंदोबस्त रहेगा। इस तरह पुलिस प्रोटेक्शन की खुद की मांग स्वीकार होने के बाद सभी रेसिडेंट डॉक्टर अपनी अपनी ड्यूटी पर वापस पहुंच गए थे।