सूरत : शिक्षकों को पहले शव गिनने बिठाया, अब ऑक्सीजन की सप्लाई का हिसाब रखने!

सूरत : शिक्षकों को पहले शव गिनने बिठाया, अब ऑक्सीजन की सप्लाई का हिसाब रखने!

शिक्षक संघ द्वारा आवाज उठाने पर सोमवार से काम नहीं सौंपने का आश्वासन

सूरत में कोरोना के कारण बुरे हालत है। लगातार बढ़ रहे केसों के कारण, तंत्र को स्टाफ की कमी की समस्या परेशान कर रही है। ऐसे में नगर प्राथमिक शिक्षण समिति की शिक्षकों को अजीबोगरीब काम सौंप देने के कारण भी तंत्र को काफी सवालों के जवाब देने पड़ रहे है। इसी बीच एक और अजीब निर्णय के अनुसार, सूरत की ग्रांटेड स्कूल के करीब 20 शिक्षकों को तंत्र द्वारा ओक्सिजन के स्टॉक का हिसाब रखने का कार्य दिया गया है। इसमें भी सबसे अजीब बात यह है की इस काम के लिए शिक्षको को बिना कोई लिखित ऑर्डर दिये मात्र मौखिक तौर पर ही बोल दिया था।
इसके पहले तंत्र द्वारा सूरत महानगरपालिका संचालित शिक्षण समिति के 4 शिक्षको को श्मशान में मृतदेहों की गिनती करने का काम सौंप दिया था। सूत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सूरत जिला शिक्षणअधिकारी की सूचना के अनुसार ड्रग्स एंड कंट्रोल डिपार्टमेंट में 20 शिक्षकों को भेजा गया था। जहां शुक्रवार को उनके पास टेलिफोनिक कार्य करवाया गया था और शनिवार को भी दोपहर तक बिठाये रखा था। हालांकि उसके बाद पलसाना, मगदल्ला, हजीरा, इच्छापोर और सचिन जैसे इंडस्ट्रियल इलाकों में ऑक्सीज़न के स्टॉक और उत्पादन का हिसाब लेने भेज दिया था। 
इस तरह बिना किसी लिखित आदेश के बिना शिक्षकों को 24 घंटे की ड्यूटी दे दी गई थी। इसके अलावा ट्रावेलिंग खर्च या अन्य किसी भी तरह के खर्च के राहत की जानकारी भी नहीं दी गई है। पूरे दिन हुये भारी बवाल के बाद सोमवार से शिक्षको को किसी भी तरह का आदेश नहीं दिये जाने की सांत्वना दी गई थी। जिसके चलते सभी शांत हुये थे। 
पूरे मामले में सूरत शहर के शिक्षक संघ के प्रमुख भूपेंद्र राना का कहना है की शिक्षकों को ऑक्सीज़न का स्टॉक लेने की ड्यूटी देना काफी अयोग्य है। इस बारे में जब शिकायत की गई तो पहले तो अधिकारियों द्वारा 12 घंटे ड्यूटी देने की बात की गई थी। पर इसके बाद 24 घंटे की ड्यूटी दे दी गई। इस बारे में कोई आदेश या परिपत्र भी नहीं दिया गया था। आम तौर पर किसी भी कार्य के लिए स्थानिक टीचरों की सहायता ली जा सकती है। पर बिना किसी के चर्चा के शिक्षकों को इस तरह से कार्य देने के कारण शिक्षकों को दूर-दराज इलाकों में जाने की नौबत आई थी।