सूरतः वैदिक होली की शुरुआत, गाय के गोबर से बनी छड़ी से होलिका जलाई

सूरतः वैदिक होली की शुरुआत, गाय के गोबर से बनी छड़ी से होलिका जलाई

गोबर से निकलने वाला धुआं मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित होता है

वातावरण को शुद्ध करने और कोरोना  संक्रमण कम करने का प्रयास 
कोरोना का प्रभाव न केवल व्यापार पर, बल्कि त्योहारों पर भी स्पष्ट है। जहां एक ओर कोरोना संक्रमण के कारण कम लोग एकत्र हो इस प्रकार होलिका दहन किया जाये ऐसा पालिका द्वारा निर्देश दिया गया है।  वहीं  कुछ लोग वातावरण शुद्ध होने तथा कोरोना संक्रमण कम हो इस उद्देश्य से गाय के गोबर से छड़ी आकार की उप्ली बनवाया था और उसी से होलिका दहन कर समाज को एक नई शुरुआत यानी वैदिक होली का संदेश दिया। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में अनेक सोसायटियों में इस तरह से होलिका दहन किया गया। 
गाय के गोबर से निकलने वाला धुआं सेहत के लिए अच्छा होता है
आयुर्वेद में, यह कहा जाता है कि गाय के गोबर से निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, जबकि हिंदू परंपरा में, यज्ञ के दौरान दी जाने वाली सामग्री वातावरण को शुद्ध करती है। उसी आधार पर समाज के लोगों ने गाय के गोबर, ढेर सारे कपूर और शुद्ध घी की मदद से होलिका दहन किया।
समाज और अपार्टमेंट में होलिका दहन की लघु-स्तरीय योजना
होलिका दहन आमतौर पर चौराहे पर आयोजित किया जाता है, जहां आसपास के सभी समाजों और अपार्टमेंट के लोग पूजा के लिए इकट्ठा होते हैं, लेकिन, इस बार कोरोना के संक्रमण के कारण, लोग अपने सोसायटी और अपार्टमेंट में छोटे स्तर पर होलिका दहन का आयोजन किया। शहर के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, "हमने इस बार एक अलग प्रकार की होलिका दहन किया। जिसमें हम आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार होलिका जलाकर वातावरण को शुद्ध करने का प्रयास किया।
होलिका दहन में अधिक लोगों को इकट्ठा न करने की नगर पालिका की अपील 
महानगर पालिका ने नागरिकों से अपील की थी  कि वे होलिका दहन के दौरान भी अधिक लोगों को इकट्ठा न करने तथा धूलेटी में भी एकत्रित होकर एक दूसरे को छूने के लिए जिद न करे यानी रंग न लगाये।  क्योंकि इस तरह से कोरोना संक्रमण फैलता है। लोगों से भी  विशेष ध्यान रखने की अपील की गई है।
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