
उपभोक्ता अदालत की बीमा कंपनी को फटकार; मरीज़ का क्या इलाज कैसे करना है वो डॉक्टर तय करेगा!
By Loktej
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सनिया के संजय का क्लेम बीमा कंपनी ने किया था रद्द,बताया नहीं थी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत; कोर्ट ने लगाई फटकार
सूरत जिला ग्राहक तकरार निवारण फोरम के जज ए एम दवे और सभ्य रूपलबेन बरोट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बीमा कंपनी द्वारा एक मरीज का क्लेम पास करवाया था। दरअसल बीमा कंपनी ने मरीज का क्लेम यह कहकर नामंज़ूर कर दिया था क्योंकि उनका मानना था कि जिस बीमारी के लिए मरीज ने अस्पताल में दाखिल होकर इलाज करवाया, उसका इलाज बाहर रहकर भी करवाया जा सकता था।
3 लाख की थी पॉलिसी
विस्तृत जानकारी के अनुसार सनिया हेमाद के सीमाड़ा गाँव में रहने वाले संजय जीवराज सुतरीया ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड कंपनी की 3 लाख रुपए की मेडीक्लासिक पॉलिसी खरीदी थी। 9 जुलाई 2019 के रोज संजय को उल्टी के साथ कमजोरी का अनुभव होने लगा। निजी अस्पताल में चेक करवाने पर पता चला की उन्हें हैपेटाइटिस की बीमारी हैं। इसलिए संजय अस्पताल में भर्ती हो गए। इस दौरान उनका कुल खर्च 90,776 रुपए का हुआ। हालांकि जब संजय द्वारा बीमा कंपनी में इस खर्च के लिए क्लेम किया गया तो कंपनी ने क्लेम रद्द कर दिया।
मरीज पूरे क्लेम का हकदार : उपभोकता कोर्ट
अपने क्लेम रद्द करने का कारण बताते हुये कंपनी ने बताया की जिस बीमारी के लिए मरीज अस्पताल में दाखिल हुआ था, उस बीमारी के लिए मरीज बाहर रहकर भी दवा करवा सकता था। इसलिए संजय सुतरीया ने नरेश नावडिया द्वारा उपभोकता कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसकी सुनवाई में कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुये कहा की किसी भी मरीज को अस्पताल में दाखिल होना हैं या नहीं इसका निर्णय लेना मात्र और मात्र डॉक्टर के हाथ में ही हैं। कितने समय में और किस तकनीक से इलाज होगा इसका निर्णय मात्र और मात्र डॉक्टर ही ले सकता है। इसलिए इस केस में शिकायतकर्ता का क्लेम पूरी तरह से पास होना चाहिए।
कोर्ट ने बीमाकंपनी को वार्षिक 8 प्रतिशत व्याज के साथ मरीज को 90,776 तथा इस केस के लिए उन्हें हुये तकलीफ़ों के आवेज के रूप में 5 हजार का दंड भी देने का हुकम किया हैं। कोर्ट ने कहा की यदि बीमा कंपनी इस तरह के कारण से क्लेम को नामंज़ूर करती हैं तो उसे ग्राहक सेवा का भंग माना जाएगा।
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