द्वारका : गुरुवार को दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु समुद्र में स्नान करने आएंगे माधवपुर

द्वारका : गुरुवार को दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु समुद्र में स्नान करने आएंगे माधवपुर

इस दिन यहाँ स्नान करने का अपना पौराणिक महत्व, कृष्ण के मथुरा से जुडी है मान्यता

भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाले माधवपुर में भाईदूज के दिन यमुनाजी के समुद्र में प्रकट होने की मान्यता के संबंध में 27 को दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु समुद्र में स्नान करने आएंगे।

लोककथाओं में हैं इसका उल्लेख


आपको बता दें कि लोककथाओं में कहा गया है कि जो लोग यमुना स्नान के लिए गोकुल मथुरा नहीं जा सकते हैं, अगर वे भाई दूज के दिन माधवपुर के समुद्र में स्नान करते हैं, तो उन्हें यमुनाजी स्नान के समान ही पुण्य मिलता है। इसके पीछे का कारण ये है कि यह भूमि श्रीकृष्ण की भूमि है और भाई दूज के दिन यमुनाजी यहाँ साक्षात प्रकट होती हैं। इसका प्रमाण ये है कि इस दिन प्रातःकाल समुद्र का जल मीठा हो जाता है।

भाई-बहन के स्नेह का त्यौहार भाईदूज


भाई दूज पर महिलाएं अपने भाई को तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी। इस दिन भाई अपनी बहन के घर तिलक करवाने जाते हैं। भाई अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हुए उन्हें तोहफा देते हैं। भाई दूज को मनाने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि यमराज ने भी इसी तिथि को अपनी बहन यमुना से नोत लिया था। भाइयों द्वारा बहनों को नोत लेने के बाद यथासंभव उपहार दिया जाता है और बहनों के हाथों से भोजन ग्रहण किया जाता है।

क्या है भाईदूज की कथा


पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनसे सूर्य देवता को यमराज तथा यमुना के रूप में एक पुत्र-पुत्री की प्राप्ति हुई थी. यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करने का निवेदन करती, लेकिन अपने कार्य में व्यस्त यमराज इस बात को टालते रहते। एक दिन यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। कार्तिक शुक्ल के दुसरे दिन यम बहन के घर पहुंचे. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

यमुना ने माँगा ये वरदान


यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।

भाई दूज पर मछुआरे नौका देंगे नि:शुल्क सेवा


भाई दूज के दिन यहां आने वाले हजारों तीर्थयात्रियों को स्थानीय मछुआरा समाज नि:शुल्क नाव सेवा मुहैया कराएगा। साथ ही कोई दुर्घटना न हो इसके लिए पुलिस सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखेगी। साथ ही बापा सीताराम मंडल द्वारा नि:शुल्क मंडप की व्यवस्था की जाएगी। कई वेटर शरबत जैसे कोल्ड ड्रिंक परोस रहे होंगे। कुछ तैराक भी सेवा करने माधवपुर पहुंचेंगे।