गुजरात : नरेश पटेल और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हुई मुलाकातों को लेकर गर्म हुआ अटकलों का बाजार, सामने आया खोदलधाम ट्रस्टी रमेश टीलाला का बयान

गुजरात : नरेश पटेल और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हुई मुलाकातों को लेकर गर्म हुआ अटकलों का बाजार, सामने आया खोदलधाम ट्रस्टी रमेश टीलाला का बयान

जब भी गुजरात में विधानसभा चुनाव नजदीक आते हैं तो पाटीदार और कोली वोटरों की चर्चा शुरू हो जाती है

गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द ही होने वाला है। इससे पहले खोदलधाम के चेयरमैन नरेश पटेल और खोदलधाम ट्रस्ट के अन्य 2 सदस्यों के पीएम मोदी से मिलने पर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। हालांकि, कहा जाता है कि यह दौरा खोदलधाम के एक कार्यक्रम के निमंत्रण के संबंध में किया गया था। नरेश पटेल की पीएम मोदी से मुलाकात को लेकर खोदलधाम ट्रस्टी रमेश टीलाला का बयान सामने आया है।

पीएम के साथ कोई राजनीतिक चर्चा नहीं: रमेश तिलला


आपको बता दें किइन अटकलों के बीच खोदलधाम के ट्रस्टी रमेश टीलाला ने कहा कि हमारी यात्रा औपचारिक यात्रा थी। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई और न ही टिकट की मांग की गई। पीएम मोदी के साथ बैठक के दौरान सौराष्ट्र के उद्योग से जुड़े मुद्दे पर चर्चा हुई। साथ ही पीएम मोदी को खोदलधाम आने का न्योता भी दिया है। पीएम मोदी ने न्योता स्वीकार कर लिया है। वे अपना शेड्यूल देखकर हमें बताएंगे।

पीएम मोदी ने तीनों से 45 मिनट तक बातचीत की


बता दें कि नरेश पटेल, रमेश टीलाला और दिनेश कुंभानी ने कल प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। उन्होंने पीएम मोदी से 45 मिनट तक बातचीत की। गौरतलब है कि जब भी गुजरात में विधानसभा चुनाव नजदीक आते हैं तो पाटीदार और कोली वोटरों की चर्चा शुरू हो जाती है। जब से गुजरात की कमान विजय रूपाणी के हाथों भूपेंद्र पटेल को सौंपी गई है, बीजेपी ने गुजरात के पाटीदारों को लुभाने की कोशिश शुरू कर दी है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 100 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई थी, जिसका मुख्य कारण पाटीदार समुदाय की नाराजगी बताया जा रहा है। ऐसे में अगर इस बार अच्छी जीत हासिल करनी है तो पाटीदारों को वापस बीजेपी में लाना जरूरी है।

देखिए गुजरात में कितनी है पाटीदारों की ताकत?


गुजरात में, दो पाटीदार समुदाय अर्थात् कदवा और लेउवा जनसंख्या का 15 प्रतिशत हैं। लेकिन पिछले चुनाव (2017) में वही 15 फीसदी आबादी सौराष्ट्र में बीजेपी से हार गई और गुजरात में कमाल की भूमिका निभाने वाली बीजेपी 100 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई। 2012 में 115 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2017 में 99 पर अटकी हुई थी। दूसरे, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदारों की नाराजगी के कारण आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।


इसके अलावा 2017 में हुए आंदोलन के चलते पाटीदार समुदाय ने कांग्रेस को वोट दिया और कांग्रेस को कई सीटें जीतीं। यहां तक कि 2021 के स्थानीय चुनाव में भी गुजरात में सौराष्ट्र पाटीदारों का दूसरा गढ़ माने जाने वाले सूरत में आम आदमी पार्टी को वोट देकर पाटीदारों ने जीत दिलाई थी। ऐसे में अगर कांग्रेस-बीजेपी कुछ नहीं करती तो सौराष्ट्र में आप ताकतवर बन सकता है। गुजरात में कहा जा सकता है कि पाटीदारों की ताकत की बात करें तो पाटीदारों की आबादी भले ही 15 फीसदी हो लेकिन चुनाव में कोई भी पार्टी उनकी अनदेखी नहीं कर सकती।

दीपावली के बाद कभी भी चुनाव की तारीख की घोषणा हो सकती है


वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान दिवाली के बाद कभी भी किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक नवंबर के अंत में मतदान होगा जबकि दिसंबर के पहले सप्ताह में नतीजे आ सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले कार्यकाल में 25 अक्टूबर को चुनाव की घोषणा की गई थी।