गुजरात : उच्च न्यायालय का फैसला बार काउंसिल में नामांकित होने से नहीं बल्कि वकालत का अभ्यास करने वाला व्यक्ति माना जायेगा वकील

गुजरात : उच्च न्यायालय का फैसला बार काउंसिल में नामांकित होने से नहीं बल्कि वकालत का अभ्यास करने वाला व्यक्ति माना जायेगा वकील

जीपीएससी द्वारा जारी जॉइंट चैरिटी कमिश्नर के पद के लिए उपस्थित याचिकाकर्ता के मामले में सुनवाई करने हुए कोर्ट ने दिया फैसला, जीपीएससी को बताया सही

गुजरात उच्च न्यायालय के एक एकल न्यायाधीश ने फैसला सुनाया है कि एक व्यक्ति को बार काउंसिल में नामांकित होने के समय से नहीं, बल्कि उस समय से वकील माना जाता है जब से वह कानून का अभ्यास करता है।
उच्च न्यायालय के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मामले की सुनवाई के लिए न्यायालय के समक्ष उपस्थित होता है तो उस अवधि के दौरान इस व्यक्ति को अधिवक्ता नहीं माना जा सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा कि, नियम के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति उस अवधि के दौरान बार काउंसिल के साथ पंजीकृत है, जिसके दौरान वह न्यायालय के समक्ष अभ्यास करना बंद कर देता है, तो वो वह खुद को वकील नहीं कह सकता, क्योंकि इस अवधि के दौरान व्यक्ति अधिवक्ता के रूप में अभ्यास नहीं कर रहा है। इन परिस्थितियों में, संयुक्त धर्मार्थ आयुक्त (जॉइंट चैरिटी कमिश्नर) के पद के लिए आवेदक को अयोग्य घोषित करने का GPSC का निर्णय सही है क्योंकि उसके पास विज्ञापन के अनुसार अधिवक्ता के रूप में कम से कम 10 वर्ष का अनुभव नहीं है।
बता दें कि याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2021 में जीपीएससी द्वारा जारी संयुक्त धर्मार्थ आयुक्त (जॉइंट चैरिटी कमिश्नर) के विज्ञापन में प्रारंभिक परीक्षा के लिए उपस्थित हुआ था। GPSC ने दस्तावेजों के सत्यापन के बाद अपर्याप्त अनुभव के आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया, जो अनुचित है। एक नियम के रूप में, एक वकील को बार काउंसिल में नामांकन के समय से ही एक वकील माना जाता है, बशर्ते कि आवेदक के पास पर्याप्त अनुभव हो। GPSC ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने अदालत में अभ्यास करना बंद कर दिया, इस अवधि के दौरान उसे वकील नहीं माना गया। दोनों आवेदकों के पास भर्ती नियमों के अनुसार अपेक्षित अनुभव नहीं है।