भरूच : आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है डॉक्टर तुषार की कहानी, दसवीं में आये 50% से भी कम अंक, आज कठिन परिश्रम से बने कलेक्टर

भरूच : आज के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है डॉक्टर तुषार की कहानी, दसवीं में आये 50% से भी कम अंक, आज कठिन परिश्रम से बने कलेक्टर

डॉ तुषार सुमेरा की मार्कशीट पर नजर डालें तो उन्होंने एसएससी में कुल 700 में से केवल 343 अंक मिले थे

सोहन लाल द्विवेदी की एक कविता है ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती!’ इसका मतलब है कि अगर आप मेहनत करें तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पहले क्या थे या कितनी बार असफल हुए थे, आप अभी भी सफल हो सकते है! और इसको सार्थक कर दिखाया भरूच के कलेक्टर डॉक्टर तुषार ने! सफल लोग कभी भी बिस्तर पर आराम नहीं करते, बल्कि उनके लिए उनका काम ही आराम होता है। अगर कोई चाह ले तो वो पहाड़ तोड़ सकता है पर उसके लिए कठिन परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है. 
हम बात कर रहे हैं. भरूच के कलेक्टर डॉ तुषार सुमेरानी के बारे में है, जिन्होंने एसएससी 50% से कम अंकों के साथ पास किया और फिर भी साहस और दृढ़ संकल्प के साथ अपने पिता के सपनों को सच करने के लिए निकल पड़े और कलेक्टर बन गए। डॉ तुषार सुमेरा की एसएससी मार्कशीट पर नजर डालें तो उन्होंने एसएससी में कुल 700 में से केवल 343 अंक मिले थे। उसे अंग्रेजी में 35 अंक, गणित में 36 अंक और विज्ञान में केवल 38 अंक मिले। हालांकि कड़ी मेहनत करके वे आईएएस बन गए और आज बेहद कठिन यूपीएससी परीक्षा पास कर भरूच के कलेक्टर बन गए हैं।
वह चोटिला के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक सहायक के पद पर कार्यरत था। जहां उनकी सैलरी महज 2500 रुपए थी। यह मामला हर उस छात्र के लिए अनुकरणीय है जो कम अंक या अनुत्तीर्ण होने के कारण निराश हो जा रहे हैं या कोई गलत कदम उठा रहे हैं।
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