गुजरात : शिक्षा किसी भी राष्ट्र, राज्य या समाज के विकास की नींव की मुख्य विषयवस्तु : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

गुजरात : शिक्षा किसी भी राष्ट्र, राज्य या समाज के विकास की नींव की मुख्य विषयवस्तु : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने स्कूली शिक्षा मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का किया उद्घाटन, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्री रहे उपस्थित

‘पीएम श्री स्कूलें’ होंगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की प्रयोगशाला, जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने को पूरी तरह से सुसज्जित होंगी
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने स्पष्ट रूप से कहा कि हमारी संस्कृति में विद्या को सर्वश्रेष्ठ धन माना गया है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को लगातार पुनर्परिभाषित करने और उसे एक नया स्वरूप देने की आवश्यकता को समझते हुए 34 वर्ष पुरानी शिक्षा नीति में बदलाव कर देश को समयानुकूल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति दी है। उन्होंने कहा कि सभी को समान और उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुलभ कराने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ध्येय को सिद्ध करने के लिए पूरा देश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में काम कर रहा है। यह बात उन्होंने गुरुवार को गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और गुजरात के शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित हो रही स्कूली शिक्षा मंत्रियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।
सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी और डॉ. सुभाष सरकार, राजीव चंद्रशेखर, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी, देश के विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्री, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 की मसौदा समिति के चेयरमैन डॉ. के. कस्तूरीरंगन सहित कई शिक्षाविदों सहित गुजरात सरकार के मुख्य सचिव पंकज कुमार और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी सहभागी बने।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने आगे कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा किसी भी राष्ट्र, राज्य या समाज के विकास की नींव की मुख्य विषयवस्तु है। घिसी-पिटी एवं अप्रचलित शिक्षा के स्थान पर समावेशी और न्यायसंगत शिक्षा प्रदान करना समय की मांग है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के बालकों एवं आने वाली पीढ़ियों को ऐसी समयानुकूल शिक्षा उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता के साथ यह नई शिक्षा नीति दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आठ वर्षों के कार्यकाल में देश में अनेक नई पहलें शुरू हुई हैं और नई शिक्षा नीति उनमें से एक है। इस नीति के परिणामस्वरूप देश के युवाओं को उच्च शिक्षा भी मातृभाषा में उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा पर होने वाले खर्च को लगभग दोगुना कर दिया गया है। इसके साथ ही कौशल विकास को पर्याप्त महत्व देते हुए देश के 1.34 करोड़ युवाओं के हुनर को कौशल विकास के जरिए निखारा गया है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बेटियों की शिक्षा को गति देने के लिए शाला प्रवेशोत्सव, कन्या केळवणी रथयात्रा और गुणोत्सव जैसे सफल कार्यक्रम आयोजित किए थे जिनके उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त हुए हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संपूर्ण क्रियान्वयन में गुजरात को आगे रखने की मंशा व्यक्त की। 
उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए गुजरात ने होम लर्निंग कार्यक्रम के अंतर्गत ‘गुजरात ई-क्लास’ नामक यू-ट्यूब चैनल शुरू करने की पहल की थी। इसे यू-ट्यूब सिल्वर अवॉर्ड प्राप्त हुआ है। राष्ट्रीय डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के तौर पर कार्यरत ‘दीक्षा’ प्लेटफार्म के उपयोग के मामले में भी गुजरात देशभर में अव्वल है। श्री पटेल ने कहा कि गत तीन वर्षों में ज्ञानकुंज प्रोजेक्ट के अंतर्गत लगभग 16,000 स्मार्ट क्लासरूम शुरू हुए हैं। माइक्रोसॉफ्ट टीम की ओर से वर्ष 2020-21 में 6 करोड़ से भी अधिक वर्चुअल क्लास ली गई हैं, जिसमें गुजरात पूरे विश्व में तीसरे स्थान पर है। राज्य के 15,000 सरकारी प्राथमिक स्कूलों को ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में कार्यरत किया जाएगा।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस अवसर पर गुजरात की विशिष्ट पहल के रूप में विद्या समीक्षा केंद्र (वीएसके) की विशेषताओं पर रोशनी डाली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग और डेटा एनालिसिस की उपयोगिता तथा छात्रों एवं शिक्षकों की दैनिक उपस्थिति, स्कूल के ग्रेडेशन, सत्रांत परीक्षा और यूनिट टेस्ट आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात की इन विशिष्ट पहलों के फलस्वरूप विश्व बैंक और एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर बैंक जैसे संस्थानों ने फंड आवंटित किया है। उन्होंने विश्वास जताया कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के वर्ष में गुजरात में आयोजित हो रहे दो दिवसीय सम्मेलन में देशभर के शिक्षा मंत्रियों और शिक्षाविदों के मंथन से शिक्षा क्षेत्र को और अधिक सुदृढ़ बनाने का विचार-अमृत मिलेगा।
आजादी के अमृत काल में मानव कल्याण के लिए भारत करेगा दुनिया का नेतृत्व : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान 
सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी और डॉ. सुभाष सरकार, राजीव चंद्रशेखर, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी, देश के विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्री उपस्थ

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि स्कूली शिक्षा ज्ञान आधारित समाज की नींव है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का उद्देश्य सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहन देना और शिक्षा को हरेक के लिए सुलभ बनाना है। उन्होंने कहा कि हम आजादी के अमृत काल में हैं, तब वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत को स्थापित करने के लिए अगले 25 वर्ष भावी पीढ़ी के लिए अत्यंत निर्णायक रहेंगे। भारत एक संस्कृति है जो वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास रखती है और हमें यह समझना चाहिए कि हम पर केवल हमारे राष्ट्र का ही नहीं अपितु विश्व कल्याण का भी दायित्व है।
श्री प्रधान ने 21वीं शताब्दी के अवसरों और चुनौतियों के लिए की जा रही तैयारियों का जिक्र करते हुए यह अनुरोध किया कि हमें हमारी शिक्षा और कौशल के इकोसिस्टम को और अधिक मजबूत बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने प्री-स्कूल से माध्यमिक स्तर तक एनईपी की नई 5+3+3+4 व्यवस्था, प्रारंभिक बाल्यावस्था और देखभाल शिक्षा (ईसीसीई) पर जोर, शिक्षक प्रशिक्षण और वयस्क शिक्षा, स्कूली शिक्षा के साथ कौशल विकास का एकीकरण सहित राज्यों से अपनी मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिकता देने पर जोर दिया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार आगामी समय में ‘पीएम श्री स्कूलों’ की स्थापना करने जा रही है, जो छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित होंगे। ये अद्यतन स्कूल एनईपी 2020 की एक आधुनिक प्रयोगशाला होंगे। उन्होंने ‘पीएम श्री स्कूल’ के रूप में भावी बैंचमार्क मॉडल बनाने के लिए सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों सहित पूरे शिक्षा इकोसिस्टम से सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि एनईपी 2020 के अनुरूप आज सम्मेलन में संरचित और परिणाम आधारित चर्चाओं में सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के अनुभव और ज्ञान को साझा करने से शिक्षा के परिदृश्य में परिवर्तन की दिशा में एक कदम आगे ले जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एनईपी 2020 के सुचारू कार्यान्वयन के लिए आज देश में सर्वाधिक चर्चा-चिंतन हो रहा है, तब यह सम्मेलन पूरे देश में शिक्षा प्रणाली को और भी मजबूत बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।
देश के आने वाले कल और नया भारत का अहम दस्तावेज साबित होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति : शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी
गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल द्वारा इस राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी का अवसर गुजरात को देने के लिए गौरव की अनुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि स्कूल शिक्षा मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का यह कार्यक्रम टेक्नोलॉजी की मदद से शिक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने, नई शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नया भारत की संकल्पना को साकार करने की दिशा में अहम कदम साबित होगा।
श्री वाघाणी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति विशेषज्ञों द्वारा गहन अध्ययन के बाद तैयार की गई नीति है, जिसके लागू होने से समाज में हम नया बदलाव देख सकेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के भविष्य और नया भारत का अहम दस्तावेज साबित होगी। इसके कार्यान्वयन का दायित्व हम सभी का है। शिक्षा समाज के लिए हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और नई शिक्षा नीति इस दायित्व को पूरी निष्ठा के साथ निभाने की दिशा में स्वर्णिम कदम बनेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने विजन के साथ जो निर्णय गुजरात में लिए थे, उसके परिणामस्वरूप आज गुजरात देश के रोल मॉडल के रूप में स्थापित हुआ है। प्रधानमंत्री की अनेक नई पहलों में महात्मा मंदिर, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और दांडी कुटीर जैसे स्थानों का समावेश तो होता ही है, इसके अलावा नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के रूप में केवल देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी मददगार विशेष संस्थान कार्यरत किया है। इसके साथ ही शिक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए छात्रों के ड्रॉप आउट अनुपात को कम करने और स्कूलों में 100 फीसदी नामांकन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए गुणोत्सव, कन्या केळवणी तथा शाला प्रवेशोत्सव जैसे कार्यक्रमों का विजन भी शामिल है।
शिक्षा मंत्री जीतूभाई वाघाणी ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में राज्य के छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अनेक योजनाएं क्रियान्वित की हैं। जिसमें 500 करोड़ रुपए के प्रावधान वाली एसएसआईपी 2.0 (स्टूडेंट स्टार्टअप इनोवेशन पॉलिसी) का भी समावेश होता है। इस पॉलिसी का दायरा बढ़ाकर अब प्राथमिक स्कूल के छात्रों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। जो पढ़ाई के दौरान और पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्रों को नवाचार के लिए सहायक सिद्ध हो रही है।
केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिता करवाल ने स्कूली शिक्षा मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का स्वागत करते हुए कहा कि इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य देशभर की शिक्षा व्यवस्था को और भी अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए तकनीक के अधिकतम उपयोग के माध्यम से सभी को त्वरित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है।
उन्होंने कहा कि देश का एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिए देशभर के विभिन्न राज्यों में शिक्षा की एकरूपता को कायम रखने के लिए बुनियादी शिक्षा को मिशन मोड पर लाकर शिक्षा प्रदान करना है। इसके लिए इस सम्मेलन में विचार-विमर्श किया जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में सभी राज्य टेक्नोलॉजी का उपयोग तो कर ही रहे हैं, अब प्रयास इस बात के किए जाएंगे कि इसे दूरदराज के क्षेत्रों के छात्रों तक किस तरह पहुंचाया जाए। केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का देशभर में शीघ्र कार्यान्वयन कर सामाजिक उत्थान के प्रयासों के जरिए छात्रों को शिक्षा प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में लर्निंग एजुकेशन, शिक्षा की क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों, लर्निंग कैपेसिटी और बच्चों की ट्रैकिंग कैसे की जाए ताकि उनके स्तर का पता चल सके, इन सभी विषयों के लिए टेक्नोलॉजी का अधिकतम उपयोग को लेकर आदान-प्रदान किया जाएगा। इसके जरिए शिक्षा व्यवस्था को अधिक सुदृढ़ बनाया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की मसौदा समिति के चेयरमैन के. कस्तूरीरंगन ने एनईपी-2020 के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा, स्कूली शिक्षा के अंतर्गत ‘गुजरात शोकेसिंग द बेस्ट प्रैक्टीसेज’, भारत सरकार द्वारा लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की वर्तमान स्थिति तथा नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम और नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर विषेय पर विस्तृत प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किए गए।
सम्मेलन में दिन के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री सहित विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के बीच संवाद आयोजित हुआ। जिसमें रोल आउट एंड प्रोग्रेस ऑफ एनईपी-2020 इम्प्लिमेंटेशन, स्टेट कैरिकुलम फ्रेंमवर्क (एससीएफ) प्रिपरेशन, शेयरिंग ऑफ स्ट्रेटेजिक फॉर लर्निंग रिकवरी आफ्टर स्कूल रिओपनिंग, फाउंडेशन लिटरेसी एंड न्यूमेरसी एंड विद्या प्रवेश, स्किल्स इन स्कूल और स्टूडेंट रजिस्ट्री एंड एनडीईएआर जैसे विषयों पर विशेषज्ञों के विचार-विमर्श का आयोजन हुआ। राज्य के शिक्षा सचिव  विनोद राव ने कार्यक्रम के अंत में आभार व्यक्त किया। 
इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर, राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री कुबेरभाई डिंडोर, कीर्तिसिंह वाघेला, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की मसौदा समिति के चेयरमैन डॉ. के. कस्तूरीरंगन, राज्य के मुख्य सचिव पंकज कुमार तथा विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्री, सचिव और उच्च अधिकारी उपस्थित रहे।
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