पति ‌भिन्न जाति का था तो पत्नी ने साथ रहने से मना कर दिया, जानिये अदालत ने क्या टिप्पणी की

पति ‌भिन्न जाति का था तो पत्नी ने साथ रहने से मना कर दिया, जानिये अदालत ने क्या टिप्पणी की

चार साल प्रेम संबंध में रहने के बाद महिला ने लिया ये अजीबोगरीब फैसला, इसके लिए महिला के माता पिता जिम्मेदार

अहमदाबाद के कोर्ट में एक अजीबोगरीब और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया जहां एक महिला अपने पति से अजीब सी बात को लेकर अलग हो गई है। दरअसल ये महिला को अपने पति से सिर्फ इसलिए अलग हो गई कि उसका पति एक अलग उप-जाति का था। इसके अलावा महिला को अपने पति और अपने वैवाहिक जीवन से कोई समस्या नहीं थी। 
आपको बता दें इस अजीबोगरीब मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने पाया कि अलग होने का आधार अनुचित था और कारण भी ठोस नहीं था। ऐसे में कोर्ट ने महिला को समझाने का प्रयास किया पर महिला अपने फैसले पर डटी रही। इस वजह से महिला को गुजरात हाई कोर्ट ने 10,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
मामले में मिली जानकारी के अनुसार महिला की शादी इसी साल के शुरुआत में हुआ था पर लड़की के माता-पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे क्योंकि उसका पति एक अलग उपजाति का था। ऐसे में अपने माता-पिता के कहने पर महिला ने ये फैसला लिया है।  साबरकांठा के रहने वाले पति-पत्नी के रूप में एक साथ रहने के चार दिनों के बाद ही वह अपने माता-पिता के पास वापस चली गई और फिर उसके पास वापस नहीं लौटी। महिला ने अदालत को बताया कि वह शादी का रिश्ता आगे नहीं निभाना चाहती। हालांकि उसे अपने पति के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की है।
जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस मौना भट्ट ने पाया कि महिला ने अपने चार साल के प्रेम संबंध के बाद अपने माता-पिता के कहने से यह फैसला कर रही है। अपने आदेश में, उन्होंने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जाति और उप-जाति के इस जिद से युवाओं का जीवन बर्बाद कर दिया गया है". जो लोग खुद को बुजुर्ग कहते हैं और माना जाता है कि वे युवा लोगों के जीवन का मार्गदर्शन करते हैं, वहीं लोग युवाओं को गुमराह कर रहे हैं।"
अदालत ने पाया कि दोनों पक्ष पटेल समुदाय से थे, लेकिन उनकी उपजातियां अलग थीं। कोर्ट ने महिला को एक दो दिन के लिए शेल्टर होम भेज दिया, लेकिन वह अपने जिद पर डटी रही. बेंच ने पत्नी और उसके पिता को याचिकाकर्ता पति को दस हजार का भुगतान करने का आदेश दिया।
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