गुजरात : क्या नरेश पटेल केसरिया धारण करेंगे; सी आर पाटिल के साथ दिखे!

गुजरात : क्या नरेश पटेल केसरिया धारण करेंगे; सी आर पाटिल के साथ दिखे!

जामनगर में भागवत कथा के एक धार्मिक कार्यक्रम में दोनों नेताओं के साथ दिखने से राजनीतिक सरगर्मियां तेज

गुजरात की राजनीति में पिछले कुछ महीनों से खोडलधाम के चेयरमेन और पाटीदार अग्रणी नरेश पटेल को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। नरेश पटेल अनेकों बार मीडिया के सामने आकर अपने राजनीति में प्रवेश करने के बारे में बयान दे चुके हैं लेकिन यह स्पष्ट नहीं करते कि वे किस राजनीतिक पार्टी में शामिल होंगे। कई बार कयास लगाए गए कि वे कांग्रेस का दामन थामने वाले हैं क्योंकि उनकी भूतकाल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ बैठक हो चुकी है। वहीं कई बार ऐसी भी बातें सामने आई कि वह अरविंद केजरीवाल से मिल चुके हैं और आम आदमी पार्टी ज्वाइन करेंगे। इन्हीं चर्चाओं के बीच अब एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने प्रदेश की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है। जी हां, अब जो तस्वीर सामने आई है उसमें नरेश पटेल भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल के साथ बैठे नजर आ रहे हैं।
इस घटनाक्रम के बाद से लोग अब चर्चा करने लगे हैं कि क्या नरेश पटेल भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे? जामनगर में भागवत कथा के एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान सी आर पाटिल और नरेश पटेल एक साथ देखे गए। आपको बता दें कि जामनगर के विधायक हकूभा द्वारा 1 मई से इस भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया है और इसमें कई हस्तियां बारी-बारी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। इससे पहले पोथी यात्रा के दौरान खोडलधाम चेयरमैन नरेश पटेल, भारतीय जनता पार्टी के नेता वरुण पटेल और अल्पेश ठाकुर के साथ एक रथ में सवार होकर नजर आए थे।
हालांकि नरेश पटेल अभी भी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ रहे हैं। कार्यक्रम में भले वह पाटिल के साथ दिखे हों लेकिन मीडिया में तो वे यही कह रहे हैं कि क्योंकि पाटिल साहब जामनगर आने वाले थे और उन्हें भी कार्यक्रम में उपस्थित रहने का निमंत्रण दिया गया तो वे भी आ गए। उन्होंने कार्यक्रम में उनके साथ हिस्सा लिया है लेकिन कोई राजनीतिक बैठक नहीं की है।आपको बता दें कि विगत दिनों में वह भारतीय जनता पार्टी के 4 विधायकों के साथ बैठक भी कर चुके हैं। देखना होगा कि आखिर कार नरेश पटेल करने क्या वाले हैं? क्या उनका राजनीतिक वजूद इतना बड़ा हो गया है कि वे सभी राजनीतिक दलों के साथ अपने समय और मनमरजी के अनुसार मिलते रहें और किसी को भनक तक न लगे कि वे क्या करने वाले हैं,‌ किस राजनीतिक विचारधारा के साथ जाने वाले हैं। इतना ही नहीं सभी राजनीतिक दल बाहें पसारे उनके स्वागत के लिये लालायतीत रहें और उनके निर्णय का इंतजार करते रहें। देखते हैं राजनीतिक का यह ऊंट किस करवट बैठता है।