गुजरात : मालधारी समाज का महा-आंदोलन फिलहाल स्थगित, जानें क्यों लिया गया ये फैसला

गुजरात : मालधारी समाज का महा-आंदोलन फिलहाल स्थगित, जानें क्यों लिया गया ये फैसला

पीएम मोदी के गुजरात दौरे और सीएम भूपेंद्र पटेल के अनुरोध के बाद गुजरात में मालधारी समुदाय का आंदोलन स्थगित कर दिया गया

पीएम मोदी के गुजरात दौरे और सीएम भूपेंद्र पटेल के अनुरोध के बाद गुजरात में मालधारी समुदाय का आंदोलन स्थगित कर दिया गया है। सरकार के समक्ष मालधारी समुदाय ने 15 मांगें रखी हैं। सरकार ने 15 दिन का समय मांगा है। मांग नहीं मानी जाने पर कांग्रेस विधायक रघु देसाई ने आंदोलन के संकेत दिए हैं।
 मंगलवार 18 अप्रैल को राज्य के सभी जिलों से मालधारी गांधीनगर सत्याग्रह शिविर (सत्याग्रह छावनी गांधीनगर) में आकर मृत्युपर्यंत अनशन करने वाले थे। रखड़ते (अवारा) मवेशियों के नियंत्रण के लिए पारित किये गये कानून को लेकर गांधीनगर में मालधारी समुदाय विरोध वाला था। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मालधारी नेताओं के साथ बैठक के बाद 15 दिनों के भीतर निर्णय की घोषणा की है। कांग्रेस विधायक रघु देसाई ने धमकी दी है कि अगर राज्य सरकार 15 दिनों के भीतर आधिकारिक फैसला नही लेती और मांग नहीं मानती है तो वह गांधीनगर में उग्र आंदोलन करेंगे।
 कांग्रेस विधायक रघु देसाई ने कहा कि राज्य के सभी जिलों (गुजरात में मालधारी समुदाय) के मालधारी गांधीनगर सत्याग्रह शिविर में आंदोलन (गुजरात में मालधारी समुदाय आंदोलन)करने वाले थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात दौरे और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के अनुरोध के कारण आंदोलन स्थगित कर दिया गया है। सरकार ने 15 दिनों का समय  मांगा है और इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 15 दिनों में फिर से बैठक कर चर्चा करेगी।
ये की गई मांग- 
गुजरात हेरिटेज नियंत्रण को कानूनी रूप से निरस्त किया जाए। महानगरपालिका विस्तार से दूर मुंबई आरे कालोनी की तरह स्थापना कर  इन बस्तियों के लिए भूमि आवंटित की जानी चाहिए ताकि माताओं और मवेशियों के लिए एक स्थायी वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जा सके। रखड़ते नंदी के लिए गुजरात में नंदी छात्रावास की व्यवस्था की जाये। हर जिले में सरकारी गौशाला का निर्माण होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक 100 मवेशियों के लिए 40 एकड़ जमीन खाली कर गौचर का अतिक्रमण दूर किया जाए।  
भेड़ विकास निगम को अनुदान देना चाहिए
 पशुओं को रखने के लिए जगह पशुपालकों के नाम किया जाए। चूंकि पशुपालन व्यवसाय कृषि पर आधारित होने से पशु पालकों को 5 एकड़ जमीन खेती के लिए खरीद सके ऐसा कानून में प्रावधान एवं किसानों की व्याख्या में गिना जाये तो  गुजरात में आवारा मवेशियों के प्रश्न को स्थायी रूप से सुलझाया जा सकता है। गोपालक विकास निगम (गोपालक विकास निगम गांधीनगर) या भेड़ विकास निगम को 500 करोड़ रुपये की सब्सिडी के साथ आवंटित किया जाना चाहिए। सहकारी क्षेत्र में गोपालक मण्डलियों  एवं उनके मताधिकार को पूर्व की भाँति दिया जाना चाहिए। अहमदाबाद शहर में सोदा नगर, अमराईवाड़ी, ओढव जैसी बस्तियों को उनका स्वामित्व अधिकार दिया जाना चाहिए।
गोपालक मंडलियों को पुनर्जीवित किया जाए
गिर, बरदा, आलेच के मालधारियों को संविधान के अनुसार 17,551 परिवार के पास वीडीसी कार्ड हैं, उन्हें अनुसूचित जनजाति का लाभ दिया जाना चाहिए। चराने के लिए चरवाहों को वन भूमि आवंटित की जानी चाहिए। जिस तरह राजस्थान सरकार 5 रुपये प्रति लीटर की सरकारी सब्सिडी देती है, उसी तरह गुजरात में भी पशुपालकों को दूध की सब्सिडी 5 रुपये प्रति लीटर दी जानी चाहिए। गोपालक मंडली की जो भूमि गोपालक की खेती के लिए दी गई थी, वह मंडली घाटे में आ गई है, ऐसे गोपालक मंडलों को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और उस जमीन को गोपालकों को वापस किया जाना चाहिए। राज्य में पकड़े गये पशु एवं छोड़ने के लिए के लिए 90-ए के अनुसार पुलिस चार्जशीट पेश किया जाए। पशुपालन के बिना रोजगार सृजित करने की मांग की गई है।
15 दिनों के बाद उग्र आंदोलन संभव
कांग्रेस नेताओं ने सोमवार को राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ बैठक की और 15 दिनों के बाद कांग्रेस नेताओं के साथ फिर से चर्चा की जाएगी। यदि कोई ठोस फैसला नहीं लिया तो आने वाले दिनों में गांधीनगर सत्याग्रह छावनी में उग्र आंदोलन का संकेत कांग्रेस नेता रघु देसाई ने दी है।  
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