गुजरात : जब हजारों ने नावें समुद्र किनारे रुकी रुकी रह गईं जानें मछुआरों ने क्यों किया ऐसा विरोध?

गुजरात : जब हजारों ने नावें समुद्र किनारे रुकी रुकी रह गईं जानें मछुआरों ने क्यों किया ऐसा विरोध?

गुजरात के वेरावल, पोरबंदर, मानरोल सहित के इलाकों में मछुआरों को देने वाले डीजल में 18 रुपये का इजाफा कर दिये होने पर मछुआरों ने अनोखे तरीके से विरोध किया था। बल्क यूजर्स रेट में ऑइल कंपनियों द्वारा इजाफा किए जाने के चलते एक ही दिन में डीजल में प्रतिलीटर 24 रुपये का इजाफा कर दिया गया था। जिसके चलते समंदर में खड़ी 20 हजार बोट थम गई थी। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, मछुआरों को देने वाले डीजल की कीमतों में हुये इजाफे के चलते उन्होंने ऐसा विरोध किया था। जहां नागरिकों और स्मोल क्वोंटीटी यूजर्स को डीजल 91 रुपये प्रति लीटर की कीमत से मिलती है। मछुआरों के लिए डीजल का भाव 115 रुपये हो गया था। जिसके चलते मछुआरों ने इसका विरोध किया था। सौराष्ट्र के मछुआरे समाज के अग्रणीयों ने बताया की गुजरात में से हर दिन 10 से 11 हजार बोट मछली पकड़ने के लिए जाता है और हर दिन 2 से 3 हजार बोट डीजल भरवाती है। ऐसे में हर दिन 3 लाख से 5 लाख लीटर डीजल की बिक्री होती है। 
ऐसे में मंदी के इस समय में डीजल में किए गए कीमतों में इजाफे के कारण मछुआरों के ऊपर बड़ा आघात हुआ है। फिलहाल मछली पकड़ने के काम में काफी मंदा माहौल है। ऐसे में डीजल की बढ़ती कीमतों ने सब में चिंता जगा दी है। इस बारे में बात करते हुये मछुआरों ने कहा कि इसके पहले जब डीजल के बल्क यूजर्स के लिए यूपीए शासन में 13 रुपये का इजाफा किया गया था, जिसमें मछुआरों को इस इजाफे में से मुक्ति दी गई थी।