गुजरात : चार साल में 10 हजार से अधिक गुजरातियों ने 28 करोड़ रुपये गंवाए
By Loktej
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गुजरात में 2018-19 में 1135 साइबर धोखाधड़ी और 2019-20 में 2719 साइबर धोखाधड़ी दर्ज की गई
2021 में अप्रैल से दिसंबर तक 2281 घटनाएं हुईं
पूरे देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन का क्रेज बढ़ा है। लोगों में मोबाइल ट्रांजैक्शन का क्रेज भी आसान हो गया है। फिर सिर्फ एक क्लिक से, एक व्यक्ति कुछ ही सेकंड में दूसरे व्यक्ति के खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकता है। देश में इस बढ़ते क्रेज के कई नुकसान भी हैं और फायदे भी। पिछले एक साल में गुजरातियों को साइबर फ्रॉड में सात करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। पिछले चार वर्षों में गुजरातियों को साइबर धोखाधड़ी में 28 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
लोकसभा सत्र में जारी जानकारी के मुताबिक गुजरात में 2018-19 में 1135 और 2019-20 में 2719 साइबर धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए। इन दोनों वित्तीय वर्षों में गुजरातियों को साइबर धोखाधड़ी में 8.76 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कोरोना काल में इंटरनेट से वित्तीय लेनदेन में वृद्धि के साथ-साथ साइबर धोखाधड़ी में भी वृद्धि देखी गई। 2020-21 में साइबर फ्रॉड के 4746 मामलों में 12.37 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जबकि अप्रैल से दिसंबर 2021 तक 2281 घटना में 6.95 करोड़ गवाएं है। इस समय दौरान कुल 10 हजार 881 से अधिक सायबर फ्राड की घटनाएं दर्ज हुई है।
लोकसभा में दिए गए ब्योरे के मुताबिक इस दौरान देशभर में साइबर ठगी के कुल 2.49 लाख मामले दर्ज हुए हैं और इसके खिलाफ 789.11 करोड़ रुपये का गबन किया गया है। साइबर धोखाधड़ी के अधिकांश मामले किसी अज्ञात व्यक्ति को डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर-पासवर्ड, ओटीपी देने के कारण होते हैं। बहुत से लोग जिन्हें किसी अनजान व्यक्ति का ओटीपी कॉल आता है, वे उसे दे देते हैं और वे कुछ ही मिनटों में बैंक में अपनी बचत खो देते हैं।
जानकारों के मुताबिक साइबर तकनीक के आने से वित्तीय लेन-देन काफी आसान हो गया है और अब आमने-सामने भुगतान करने के लिए बैंक या किसी व्यक्ति के पास जाने की जरूरत कम हो सकती है। इस अवधि के दौरान, पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड को 2018-19 में 3477 घटनाओं में 2.22 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। हालांकि, पिछले वित्तीय वर्ष से साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं घटकर 10 से भी कम रह गई हैं।
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