गुजरात में बीते तीन दशक से नहीं लगी फांसी, अब अहमदाबाद बम विस्फोट आरोपियों को मिलेगी मौत की सज़ा

गुजरात में बीते तीन दशक से नहीं लगी फांसी, अब अहमदाबाद बम विस्फोट आरोपियों को मिलेगी मौत की सज़ा

2008 में अहमदाबाद में हुए बम धमाकों के लिए 38 आतंकवादियों को मिली फांसी की सजा, गुजरात में आखरी बार 1989 में मिली थी ये सजा

अहमदाबाद में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई है। पिछले पांच साल में गुजरात के कुल 10 अपराधियों को मौत की सजा सुनाई गई है.  हालांकि, गुजरात में पिछली बार 1989 में ऐसा हुआ है कि जब किसी अपराधी को फांसी दी गई थी। आजादी के बाद सबसे पहले फांसी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को दी गई थी।
आपको बता दें कि गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। जिसके 12 साल बाद 15 नवंबर 1959 को नाथूराम गोडसे को फांसी दे दी गई। एक अध्ययन के मुताबिक आजादी के बाद से अब तक 15 सौ से ज्यादा लोगों को मौत की सजा दी जा चुकी है। इनमें से 61 को फांसी दे दी गई है। 21वीं सदी में फांसी पर लटके अपराधियों में 2004 में धनंजय चटर्जी, 2012 में अजमल कसाब, 2013 में अफजल गुरु, 2015 में याकूब मेमन, मुकेश सिंह-अक्षय ठाकुर-विनय शर्मा और 2020 में पवन गुप्ता शामिल हैं।
गुजरात की बात करें तो गुजरात में 1989 में आखरी बार वेरावल के शशिकांत माली को राजकोट जेल में फांसी दी गई थी। शशिकांत माली पर ट्रिपल मर्डर का आरोप लगाया गया था। इससे पहले 17 अक्टूबर 1980 को शशिकांत ने एक ही परिवार के तीन सदस्यों की हत्या कर दी है। गुजरात में इसके बाद किसी भी अपराधी को फांसी पर लटका दिया गया। 1953 से 1989 के बीच आठ आरोपियों को फांसी दी जा चुकी है। 1953 में दो अपराधियों को, 1962-1963-1964 में एक-एक, 1965 में दो अपराधियों को और 1989 में एक अपराधी को फांसी दी गई थी।
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