जानें क्यों बढ़ रही है कच्छ के ऊंटों की मांग

जानें क्यों बढ़ रही है कच्छ के ऊंटों की मांग

पिछले काफी समय से देश के विभिन्न हिस्सों में कच्छ के ऊंटो की मांग बढ़ती हुई नजर आ रही है। खास कर के देश के दक्षिण के इलाकों में कच्छी ऊंटों के साथ साथ उनका दूध निकालने वाले स्थानीय मालधारियों की भी डिमांड काफी बढ़ी है। कुछ ही समय पहले तमिलनाडु के कोयंबतूर से आए कुछ लोगों ने कच्छ के चार ऊंट खरीदे थे। जिसमें प्रत्येक की कीमत 42000 आंकी गई थी।
बता दें कि कच्छी ऊंट भारत में सातवीं मान्यता प्राप्त ऊंट की नसल है। इस ऊंट में अन्यों के मुकाबले अधिक दूध होता है। बिकानेर के वैज्ञानिक और नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन केमल डॉ वेद प्रकार द्वारा किए संशोधन में बताया गया था कि औसतन एक कच्छी ऊंट 12 लीटर दूध देता है। 
कच्छी ऊंट का दूध लेने के लिए मणिकंदन नामक व्यापारी को नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन केमल ने रिफर किया था। उन्हों ने संगठन के साथ मिलकर ऊंट ले जाने के सभी नियमों के तहत 4 ऊंट की खरीदी करने के लिए प्रति ऊंट के लिए 42000 तथा मालधारी संगठन को सहयोग के लिए 4000 रुपए का भुगतान किया था।  कोयंबतूर के व्यापारियों द्वारा इसके अलावा स्थानीय मालधारी को साथ ले जाया गया है। जिसे दूध दुहने के लिए प्रति लीटर 400 रुपए देने के लिए भी लोग तैयार है। इस तरह से ऊंटनी की अधिक डिमांड के चलते कच्छी लोगों द्वारा दूध के बाजार व्यवस्था बनाने में और  हर ऊंट के साथ मालधारी को भेजने की तैयारी भी की जा रही है।
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