गुजरात : बारह साल आर्या चावड़ा ने 5 साल में लिखी 8 किताबें, जानें कहां-कहां हुई प्रकाशित

गुजरात : बारह साल आर्या चावड़ा ने 5 साल में लिखी 8 किताबें, जानें कहां-कहां हुई प्रकाशित

पर्यावरण के महत्व को दर्शाने वाली "इको-सिस्टम" पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल के हाथों किया गया

नवसर्जन की शुरुआत  छोटे कार्यों और पहल से शुरू होता है। कभी-कभी आपके द्वारा की गई एक छोटी सी पहल भी क्रांति का रूप ले सकती है। जीवन में लक्ष्य की शुरुआत को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि उसे अंत तक लाना चाहिए। ये अहमदाबाद शहर के बारह वर्षीय लेखक आर्या   चावड़ा के विचार हैं।
अहमदाबाद शहर के थलतेज इलाके की रहने वाली आर्या पांचवीं में पढ़ती है। अपने घूमने-फिरने, मौजमस्ती करने की उम्र में आर्या ने विभिन्न लोक कल्याण और समाज कल्याण और विश्व कल्याण विषयों पर लगभग 8 पुस्तकें लिखी हैं। इतना ही नहीं, आर्या  एक अच्छे चित्रकार और वक्ता भी हैं।
आर्या   अपनी पुस्तक "सीड्स ऑफ होप" और "सीड्स टू बो" में आज दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं जैसे "जलवायु परिवर्तन" और "ग्लोबल वार्मिंग" पर गहराई से प्रकाश डाली हैं।
आर्या   का कहना है कि जब कोविड-19 की शुरुआत हुई , तब उन्होंने ऐसी खबरें पढ़ी और सुनी थीं कि अमेजन और ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग से लाखों बेगुनाह वन्यजीव मारे गए हैं।
इसे पढ़कर आर्या  ने सवाल किया कि क्या प्रकृति में मानवीय हस्तक्षेप पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार है और इसे उचित उपायों और फैसलों से कैसे रोका जा सकता है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए पुस्तक "सीड्स ऑफ होप" का निर्माण हुई।  इसमें आर्या   प्रकृति को हुए नुकसान की बात करते हैं और उसे बचाने के उपाय बताते हैं- ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना, इधर-उधर कूड़ा न फेंकना। लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए आर्या  ने "इको-सिस्टम" पर "सीड्स टू बो" नामक पुस्तक लिखी है, जिसका विमोचन मुख्यमंत्री  भूपेंद्रभाई पटेल ने किया था।
इस पुस्तक में आर्या  पर्यावरण को बचाने की बात नहीं करती हैं, बल्कि इस संबंध में ठोस कदम उठाने होंगे। आर्या कहते हैं कि इस धरती पर रहने वाले सभी जानवरों, पक्षियों और मनुष्यों के समान अधिकार हैं। पृथ्वी की सुरक्षा और संरक्षण के लिए समान जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए।
आर्या  ने इको-ग्रीन दिवाली अभियान भी शुरू किया है। यह अभियान आज कई लोगों की भागीदारी से आगे बढ़ रहा है। आर्या  ने न केवल पर्यावरण बल्कि आधुनिक समाज को भी प्रभावित करने वाले विषयों पर किताबें लिखी हैं।
वर्ष 2017 में, अहमदाबाद को यूनेस्को द्वारा दुनिया का पहला विरासत शहर घोषित किया गया था। बस यूं हुआ कि मुझे इस वास्तुकला और कला को लोगों तक ले जाना पड़ा। इसी विचार के साथ आर्य का जन्म एक लेखक के रूप में हुआ। आठ वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी पहली पुस्तक "अहमदाबाद माई सिटी माई हेरिटेज" लिखी।
लेखक के रूप में आज भी आर्या  का कार्य स्थिर गति से आगे बढ़ रहा है। आर्या  ने न केवल पर्यावरण बल्कि आधुनिक समाज को भी प्रभावित करने वाले विषयों पर अपनी पुस्तकें लिखी हैं। आर्या  की पुस्तकों की विशेषता यह है कि उनकी सभी पुस्तकों में आर्या  ने अपने स्वयं के चित्र शामिल किए हैं।
आर्या  द्वारा लिखित 7 पुस्तकों की सूची निम्नलिखित है।
1. अहमदाबाद मेरा शहर मेरी विरासत, गांधी के साथ एक दिन, सीड्स ऑफ होप, इंटीजीबल अहमदाबाद,राईसिंग एबोव, राईसिंग बेयांग, सीड्स टू शो, 
आर्या की आगामी पुस्तक "मैग्नीफिसेंट मार्वल्स" में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संख्या का उल्लेख है।
आर्या ने कई सरकारी और निजी स्कूलों, कॉलेजों और विभिन्न संस्थानों में व्याख्यान दिया है। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आर्या की प्रकृति‌ संरक्षण की विविध पहल  से प्रभावित होकर युनीसेफ द्वारा भी आर्या के व्याख्यान का आयोजन किया गया था। 
राष्ट्रीय पर्यावरण युवा मंच 2021 के "पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों" के भाग रुप   आर्य ने पूरे भारत में 75 से अधिक विश्वविद्यालयों में 300 से अधिक कॉलेजों  और 25,000 से अधिक छात्रों के साथ बातचीत की और लोगों को पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सितंबर 2018 में, आर्या  ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में यूनेस्को कार्यालय में भारतीय विरासत और संस्कृति पर अपना काम प्रस्तुत किया। जून 2019 में, सिर्फ नौ साल की उम्र में आर्या  ने पेरिस स्थित विश्व विरासत समिति अमरबैजान के बाकू में 43 वें समारोह में 180 देशों के 2500 राजनयिकों के सामने अपनी कलात्मक प्रतिभा और कौशल का प्रदर्शन किया।
अप्रैल 2020 में, पेरिस में वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर में, आर्या  ने ग्लोबल कैंपेन शेयर योर हेरिटेज प्रतियोगिता में भाग लेने वाले आठ देशों के बाल प्रतिनिधियों को संबोधित किया और वैश्विक सांस्कृतिक विविधता के लिए आशा का एक अद्भुत संदेश और आशा का एक सकारात्मक संदेश दिया। राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमिताभई शाह, गुजरात के पूर्व राज्यपाल ओपी कोहली और विभिन्न मंत्रियों ने आर्या  के पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के अनूठे कार्य की सराहना की है। "दृढ़ संकल्प और समर्पण आपको दुनिया में दूसरों से अलग करता है" के सिद्धांत में विश्वास रखने वाली आर्या को कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।
समाज में गांधीजी के मूल्य और आदर्श - शांति, सत्य, अहिंसा और समानता, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, , सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, लड़कियों की शिक्षा और बच्चों के मौलिक अधिकार और कर्तव्य जैसे विषयों के लिए पुस्तकें लिखकर समाज में जागृति लाने के लिए अतक प्रयास करने वाली 12 वर्षीय  बेटी की किताबें, युनेस्को, नई दिल्ली, युनाईटेड नेशंस इंडिया द्वारा तमाम पुस्तकों का प्रकाशन की गई है।  इतना ही नहीं, आर्या  की किताबें भी यूनेस्को डिजिटल लाइब्रेरी और यूनेस्को ग्लोबल सिटीजनशिप एजुकेशन जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित हुई हैं।
अपना संदेश देते हुए, आर्या  ने कहा मेरे आठ साल की उम्र से शुरु हुई सफर से लेकर आज दिन तक मुझे हमेशा राज्य सरकार का संपूर्ण समर्थन रहा है तथा हमेशा आगे रहने के लिए प्रोत्साहन एवं निरंतर समर्थन के लिए "मैं गुजरात सरकार का हमेशा आभारी हूं। 
12 वर्षीय यह बेटी अपनी कमाई का एक हिस्सा कैंसर रोगियों के कल्याण के लिए स्व-चित्रों की प्रदर्शनी, कविताओं और किताबों की बिक्री और विभिन्न सामाजिक विषयों पर व्याख्यान के लिए दान करती है। मरीजों के लिए आर्थिक मदद जुटाने वाली इस बेटी के बारे में हम जितना कम लिखते हैं, उतना ही कम लगता है।
Tags: Gujarat