गुजरात : अब राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाने के लिए सैटेलाइट इमेज और आईटी का इस्तेमाल किया जाएगा

गुजरात : अब राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाने के लिए सैटेलाइट इमेज और आईटी का इस्तेमाल किया जाएगा

राज्य में बायसेग और जीआईडीबी के माध्यम से परियोजना में प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय मास्टर प्लान बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन में गेम चेंजर साबित होने जा रहा है। इस योजना को के साथ तदम से कदम मिलाने के लिए गुजरात सरकार ने गतिशक्ति परियोजना शुरू की है। बायसेग के माध्यम से प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके गतिशक्ति को परियोजना निर्माण कार्य की योजना बनाने और समय पर पूरा करने में प्रभावी बनाना है।
आइए पहले जानते हैं कि यह गतिशक्ति प्रोजेक्ट क्या है? गतिशक्ति में परियोजनाएं राज्य और केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों को एक साझा मंच पर ला रही हैं। ये विभाग सड़क एवं भवन विभाग, रेल विभाग, वन विभाग, विद्युत वितरण विभाग, नगर नियोजन, निगम एवं नगर पालिका, जल आपूर्ति विभाग हैं जो सार्वजनिक निर्माण के साथ संलग्न हैं।
आमतौर पर रेल लाइन बिछाने, सड़कें बनाने, पानी की लाइन डालने, बिजली, सीवरेज और पानी की लाइन डालने का काम उपरोक्त विभागों द्वारा किया जाता है। अब ऐसा होता है कि किसी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एक विभाग को अन्य विभागों के साथ समन्वय कर अनुमोदन, अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है। इससे प्रोजेक्ट को पूरा होने में अधिक समय लगता है।
किसी भी परियोजना का नियोजन चरण महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए जलापूर्ति विभाग द्वारा एक लंबा पाइप बिछाने का प्रोजेक्ट है। तो उसके लिए कितनी लंबी पाइप डालना पड़ेगा? आपको कितनी गहरी खुदाई करनी है? लाइन कहाँ से आती है और कहाँ बिछाई जानी है वह जमीन किसके हसल्तक है? लाइन किस प्रकार की भूमि से आएगी और उसकी स्थलाकृति क्या होगी? मामले की योजना बनानी होगी और जगह का बार-बार दौरा करना होगा। अब मान लीजिए कि ये विवरण एक सामान्य मंच से उपलब्ध हैं? मामला अब वास्तविक रूप लेता जा रहा है। प्रोजेक्ट प्लानिंग को कॉमन प्लेटफॉर्म पर लाया जा रहा है। हमारे देश और राज्य में निर्माण कार्यों में तकनीक का पूरा उपयोग उसी तरह होने जा रहा है जैसे विकसित देशों में किया जाता है। इसका नाम गतिशक्ति परियोजना है।
वर्तमान में, दो डिवीजन गतिशक्ति परियोजना की मुख्य प्रेरक शक्ति हैं, एक बायसाग है और दूसरा गुजरात इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड है। GIDB वर्तमान में गतिशक्ति परियोजना के लिए डेटा संग्रह की प्रक्रिया में है। इसके लिए अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट और सूरत में क्षेत्रीय स्तर पर उपरोक्त विभागों के अधिकारियों के सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं। जिसके भाग रूप  वडोदरा में भी इसी तरह का एक सेमिनार आयोजित किया गया था।
इस परियोजना में पानी, सीवरेज, राजमार्ग, रेलवे, जंगल, बिजली, कस्बों और शहरों की आंतरिक सड़कों, भूमि स्वामित्व, टीपी और डीपी, मिट्टी का विवरण दिया जाएगा। यानी एक बटन के क्लिक पर उक्त चीजें उपलब्ध हो जाएंगी। उस विभाग के लिए ऐसा विशेष पोर्टल बनाया जाएगा। जीआईडीबी और बायसेग द्वारा ऐसे पांच हजार पोर्टलों की योजना बनाई गई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर मुख्यमंत्री  भूपेंद्रभाई पटेल विशेष फोकस दिखा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में सैटेलाइट इमेज और टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।
आइए एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए एक जगह चेक डैम बनना है। तो गतिशक्ति  परियोजना में उस स्थान का चयन किया जाएगा। तो बस एक क्लिक से चेकडैम के ड्रेनेज एरिया, कंटूर ट्रैक्शन की जानकारी मिल जाएगी। इससे यह पता लगाना आसान होगा कि चेक डैम कितना ऊंचा होना चाहिए।
इसी तरह कोई राजमार्ग बनाना हो तो हाईवे बनाने का भी यही हाल है। तो इस हाईवे को कहां बनाया जाए, इसकी जमीन क्या होगी और किसके पास होगी। इसमें कितने पूल बनाने होंगे। जहां पहाड़ियों की खुदाई करनी है। ये सारी चीजें ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। यह सैटेलाइट द्वारा ली गई इमेज और टोपोग्राफी का इस्तेमाल करेगा।
मान लीजिए किसी शहर में आप्टिकल फाइबर लाइन बिछानी है, कितनी दूर लाइन रोड के किनारे बिछाई जाए, वहां पहले से मौजूद अन्य पाइपलाइनों की गहराई का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। ऐसा करने से अधिकारियों के फील्ड दौरे कम होंगे और योजना अधिक सटीक, तेजी से हो सकेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो योजना और क्रियान्वयन डिजिटल तरीके से किया जाएगा। किसी भी प्रोजेक्ट को जल्दी पूरा करने में गतिशक्ति अहम साबित होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने गत 13 अक्टूबर को महत्वाकांक्षी रु. 100 ट्रिलियन प्रधान मंत्री  गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की घोषणा की थी, जो भारत को ढांचागत आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिए एक साहसिक परियोजना होगी।
उनके दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के विकास में अभूतपूर्व गति और पैमाने देख रहा है। गतिशक्ति अभियान के मूल में भारत के लोग, भारतीय उद्योग, भारतीय व्यापार, भारतीय उत्पादक और किसान हैं। जो 21वीं सदी के भारत के निर्माण के लिए देश की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों में नई ऊर्जा का संचार करेगा।
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