गुजरात : प्लास्टिक के प्रयोग को लेकर उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा ये सवाल

गुजरात : प्लास्टिक के प्रयोग को लेकर उच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा ये सवाल

उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना और इस मुद्दे पर जागरूकता अभियान शुरू करना आवश्यक

राज्य में प्लास्टिक के के उत्पादन, बिक्री, वितरण, उपयोग और पेपर कप और डिश के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक गैर-प्रकटीकरण याचिका पर शुक्रवार को उच्च न्यायालय की पीठ में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर सरकार की क्या नीति है? प्लास्टिक के उपयोग को रोकने और पृथ्वी को प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए सरकार क्या कर रही है?
आपको बता दें कि उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना और इस मुद्दे पर जागरूकता अभियान शुरू करना आवश्यक है। यह आने वाली पीढ़ी के लिए किया जाना है। हालांकि, इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले पर संजीदा होते हुए न्यायालय ने बताया कि यह अफसोस की बात है कि प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। आप शहर, गांव, समुद्र तट, सार्वजनिक पार्क या स्थानों में जहां भी जाते हैं वहां प्लास्टिक की बोतलें, बैग, रैपर पड़े रहते हैं। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है और शोध के अनुसार प्लास्टिक को सालों तक नष्ट नहीं किया जा सकता है। मामले में आगे की सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर भावनगर नगर आयुक्त द्वारा अतीत में दायर हलफनामे में चिंताजनक स्थिति बताई गई है। हलफनामे के मुताबिक प्लास्टिक का अंधाधुंध इस्तेमाल कर सीवर लाइन में डाला जाता है। इसके चलते सीवर लाइन जाम हो गई है। जिसे मशीनों से साफ भी नहीं किया जा सकता है। इसके चलते लोग सीवर लाइन की सफाई के लिए अंदर जाने को मजबूर हैं। केंद्र सरकार ने प्रस्तुत किया था कि प्लास्टिक के कप और पानी के पाउच पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस मुद्दे को लेकर राज्य के विभिन्न नगर निगमों ने जवाब दाखिल किया है। गौरतलब है कि मामले में शामिल कुछ वकील सुनवाई के दौरान छुट्टी पर थे इसलिए केंद्र सरकार के वकील ने मामले की पूरी जानकारी हाईकोर्ट को दी। याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि प्लास्टिक से संबंधित बहुपरत उत्पाद गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य है। गुजरात प्रदूषण बोर्ड इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।