गुजरात : इस गाँव में अनोखे तरीके से मनाया जाता है नया साल, मवेशियों को भड़काकर दौड़ाने का है रिवाज

गुजरात : इस गाँव में अनोखे तरीके से मनाया जाता है नया साल, मवेशियों को भड़काकर दौड़ाने का है रिवाज

दिवाली के बाद का दिन आज देश भर में विक्रम संवत 2077 मनाया जा रहा है

आज दिवाली के बाद का दिन देश भर में गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जा रहा है। गुजरात में आज का दिन नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है। आज के दिन को लेकर विभिन्न स्थानों पर विभिन्न परंपरा है। ऐसे में अरावली जिले के मोडासा तालुका के रामपुर गांव में अपनी पारंपरिक विधि यानी मवेशियों को भड़काकर दौड़ाकर नए साल \ को अनोखे तरीके से मनाया गया। 
आपको बता दें कि जैसा कि आज से पूरे देश में विक्रम संवत 2077 मनाया जा रहा है। अरावली जिले के मोडासा तालुका के रामपुर गांव में गोपालक समाज द्वारा अनूठे रूप से नया साल मनाया जा रहा है। रामपुर गांव में ग्वाले सुबह जल्दी उठकर भगवान कृष्ण के मंदिर में इकट्ठा होते हैं। भगवान की पूजा और प्रार्थना करते हैं। आरती करने के बाद गांव के सभी पशुओं को मंदिर में लाया जाता है। इसके बाद छोटे-छोटे बच्चों द्वारा जानवरों के बीच पटाखे जलाएं जाते हैं और इस तरह जानवरों को भड़काया जाता है। पटाखों के आवाज से बड़ी संख्या में जानवर भड़क उठते है और फिर भगदड़ मच जाती हैं। हालांकि इस बी में कोई हताहत या नुकसान नहीं होता। इसके बाद गांव के सभी बूढ़े एक दूसरे को बधाई देते हैं और नए साल की शुभकामनाएं भेजते हैं। लेकिन कोरोना की महामारी के मद्देनज़र उन्होंने इस बार उनसे मिलने के बजाय दुरी से बस हाथ जोड़कर 'जय श्री कृष्ण' कहकर उन्हें नए साल की शुभकामनाएं दी।
गौरतलब है कि रामपुर गांव में नया साल मनाने का ये पारंपरिक तरीका है। ऐसी मान्यता है कि यहां के मवेशियों को इस तरह भड़काने और नए साल का जश्न मनाने से गांव साल भर खुशहाल रहता है। खेती में तरक्की होती है। जानवरों में कोई महामारी नहीं होती है। फिर आज के कंप्यूटर युग में भी लोग धर्म और आस्था से जुड़ी परंपराओं को मनाकर त्योहार मनाते हैं। ऐसे में आज फिर एक बार अरावली के रामपुर गांव के बुजुर्गों ने पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए युवाओं इसे आगे बढ़ाने का मौका दिया है।