गुजरात के इस प्रसिद्ध शहर से हुआ था गणेशोत्सव का प्रारंभ, आज भी प्रथम मूर्ति की मिट्टी से ही बनाई जाती है नई प्रतिमा

गुजरात के इस प्रसिद्ध शहर से हुआ था गणेशोत्सव का प्रारंभ, आज भी प्रथम मूर्ति की मिट्टी से ही बनाई जाती है नई प्रतिमा

आज से 10 दिन के गणेशोत्सव का प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में आज हम आपको उस स्थान के बारे में जानकारी देने जा रहे है, जिस स्थान से गणेशोत्सव का प्रारंभ हुआ था। पूरे एशिया में गणेशोत्सव का प्रारंभ गुजरात की ऐतिहासिक नगरी पाटण से हुई थी। गणेशोत्सव की शुरुआत आजादी की लड़ाई के सेनानी लोकमान्य तिलक जी ने सन 1892 में शुरू किए होने का माना जाता है पर उसके पहले ही पाटण में रहने वाले महाराष्ट्रियन परिवार ने सन 1878 में कर लिए होने के सबूत आज भी सरकारी गेजेट्स में मौजूद है। 
आज से 144 साल पहले शुरू हुये गणेशोत्सव की परंपरा आज भी उसी तरह निभाई जा रही है। पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ धूमधाम से पालखी में बैठाकर विघ्नहर्ता को गणेश वाडी में ले जाया जाता है, जहां पूरे विधि विधान के साथ गणेशजी की स्थापना की जाती है। सबसे खास बात यह है यहाँ आज भी उस मिट्टी के अवशेष का इस्तेमाल किया जाता है, जिसका इस्तेमाल पहली मूर्ति बनाने के लिए किया गया था। इसके अलावा मूर्ति का कद भी उतना ही रखा जाता है। मूर्ति बनाते वक्त भी लगातार गणेश भगवान का जाप किया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है की यदि अनंत चतुर्थी के दिन स्थापना के दिन भक्त अपनी कोई भी मन्नत भगवान के सामने रखता है तो वह जरूर पूर्ण होती है।
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