गुजरात : मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का अहम निर्णय, कोरोना की दूसरी लहर के प्रभाव से उद्यमियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों को दी जाएगी राहत

गुजरात :  मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का अहम निर्णय, कोरोना की दूसरी लहर के प्रभाव से उद्यमियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों को दी जाएगी राहत

जीआईडीसी के अध्यक्ष बलवंतसिंह राजपूत और उद्योग विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री की बैठक के बाद चार नीति विषयक योजनाएं घोषित

मुख्यमंत्री  विजय रूपाणी ने कोरोना की दूसरी लहर के बाद राज्य के उद्योगकारों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाईयों को दूसरी लहर के प्रतिकूल आर्थिक हालात से उबरने के लिए राहत देने का महत्वपूर्ण निर्णय किया है। 
इससे पूर्व कोरोना की पहली लहर के बाद राज्य के उद्योग-व्यापार जगत को पुनः गतिशील बनाकर आर्थिक परिस्थिति को बल देने के लिए मुख्यमंत्री ने 14 हजार करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर पैकेज का ऐलान किया था। इस पैकेज के अंतर्गत गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) की ओर से 14 योजनाओं के तहत  31,166  उद्योगकारों को 407.72  करोड़ रुपए के लाभ प्राप्त हुए हैं। 
उद्योग संगठनों, गुजरात व्यापारी महामंडल और फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज एंड एसोसिएशन (एफआईए) ने मुख्यमंत्री से यह निवेदन किया था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद भी उद्योगों के लिए इस आत्मनिर्भर पैकेज को पुनः लागू किया जाए। मुख्यमंत्री ने इन मांगों पर संवेदनापूर्ण सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए गुजरात औद्योगिक विकास निगम (जीआईडीसी) को जरूरी कार्यवाही के लिए निर्देश एवं मार्गदर्शन दिए थे। 
 विजय रूपाणी के दूरदर्शी नेतृत्व में जीआईडीसी ने इस संदर्भ में चार नीति विषयक योजनाएं घोषित की हैं। इन योजनाओं का 500 करोड़ रुपए का अनुमानित लाभ-सहायता औद्योगिक क्षेत्र के 50, 000 से अधिक उद्योगों को मिलेगा। 
इस संदर्भ में मुख्यमंत्री ने जीआईडीसी के अध्यक्ष  बलवंतसिंह राजपूत, उद्योग एवं खनन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजीव कुमार गुप्ता तथा जीआईडीसी के प्रबंध निदेशक एम. थेन्नारसन के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक के बाद चार नीति विषयक योजनाओं की घोषणा की गई है, जिसकी जानकारी  एम. थेन्नारसन ने दी। इन योजनाओं में जिन बातों का समावेश किया गया है उसके अनुसार उद्यमियों को आर्थिक प्रोत्साहन देने के लिए यह निर्णय किया गया है कि उद्योगकारों को उत्पादन शुरू करने की समय सीमा यानी मोरेटोरियम अवधि अप्रयुक्त (बिना इस्तेमाल) के लिए जुर्माने की राशि लिए बिना और 1 वर्ष बढ़ा दी जाएगी। निर्णय के अनुसार जिन उद्योगकारों की उत्पादन शुरू करने की समय सीमा 2021-22 में पूरी हो रही है, उसे इस्तेमाल नहीं करने की स्थिति में लगने वाला जुर्माना वसूल किए बगैर अतिरिक्त वर्ष के लिए समय सीमा बढ़ा दी जाएगी। 
इस निर्णय के परिणामस्वरूप उद्योगकारों को संपत्ति का उपयोग करने के लिए और समय मिल सकेगा और प्रति वर्ष वितरण मूल्य के 2 फीसदी के हिसाब से अप्रयुक्त जुर्माने की कुल 16.70  करोड़ रुपए रकम भरने से छूट मिलेगी। इस योजना का लाभ लगभग 672 लाभार्थियों को मिलने पात्र होगा। 
इतना ही नहीं, औद्योगिक क्षेत्रों के जो आवंटिती यानी आवंटन पाने वाले पहले की नीति के अंतर्गत इस्तेमाल की बढ़ाई गई समय सीमा का लाभ नहीं ले पाए हैं तथा जिन्हें मार्च-2022 तक लाभ दिया गया है, वैसे सभी लोगों को मार्च-2023 तक इस्तेमाल की समय सीमा बढ़ा दी जाएगी। बढ़ाई गई समय सीमा में इस्तेमाल शुरू किए जाने की स्थिति में इस नीति के तहत ऐसे 1656 उद्योगकारों को 350 करोड़ रुपए की राहत का लाभ मिलेगा। 
जीआईडीसी के प्रबंध निदेशक ने मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में लिए गए अन्य नीति विषयक निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र मंडलों ने मुख्यमंत्री के समक्ष यह निवेदन किया था कि आवंटन पाने वालों के लिए तय की गई मूल्य वृद्धि इस वर्ष के लिए स्थगित रखी जाए। 
श्री विजय रूपाणी ने इन मांगों पर भी संवेदनापूर्ण प्रतिक्रिया देते हुए निर्णय किया है कि जीआईडीसी के औद्योगिक और रिहायशी क्षेत्रों की जमीन और बहुमंजिला शेडों का आवंटन पाने वालों पर कोविड-19 की महामारी तथा लॉकडाउन के विपरीत प्रभाव के चलते आर्थिक बोझ न पड़े, उसके लिए निगम के औद्योगिक क्षेत्रों के लिए चालू वित्तीय वर्ष 2021-22  के लिए निर्धारित की गई मूल्य वृद्धि इस वर्ष के लिए स्थगित कर गत वित्तीय वर्ष 2021-22 की आवंटन दर तय की गई है। इस निर्णय के चलते लगभग 26 करोड़ रुपए की राहत उद्योगकारों को मिलेगी। 
वहीं, ज्यादा मांग वाले सायखा, सायखा वुमन्स पार्क, सायखा एमएसएमई पार्क, हालोल और हालोल (विस्तार) औद्योगिक क्षेत्र की वर्ष 2021-22 के लिए निर्धारित की गई मूल्य वृद्धि यथावत रखी गई है। 
उन्होंने कहा कि जीआईडीसी की ओर से नए निर्माण क्षेत्र के नक्शे को मंजूरी देते समय सर्विस और सुविधा शुल्क के तहत प्रति वर्ग मीटर 50 रुपए लिए जाते हैं। इस रकम में से अधिकतम 25 रुपए प्रति वर्ग मीटर यानी कि 50 फीसदी रकम संबंधित औद्योगिक क्षेत्र में केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों के लिए तथा 25 रुपए प्रति वर्ग मीटर यानी की 50 फीसदी रकम निगम द्वारा किए जाने वाले विशेष जरूरत वाले (मेंडेटरी) कार्यों, उद्यमियों की संपत्तियों की पैमाइश, सर्वे, स्थल निरीक्षण रिपोर्ट, आवश्यकतानुसार औद्योगिक क्षेत्र की ढांचागत सुविधा और पर्यावरण अध्ययन आदि कार्यों के लिए खर्च करने की प्रशासनिक मंजूरी दी गई है। इस नीति के अंतर्गत 138 क्षेत्रों को लगभग 71.30 करोड़ रुपए का लाभ मिलेगा। 
गुजरात औद्योगिक विकास निगम की ओर से वर्ष 2009-2019  से इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन फंड का गठन किया गया है। जिसके अंतर्गत विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में प्रति वर्ग मीटर 5 रुपए के हिसाब से वसूल कर उसमें से 3 रुपए औद्योगिक क्षेत्रों के नवीनीकरण के कार्यों के लिए दिए गए योगदान के तहत निगम द्वारा रखने तथा बाकी 2 रुपए संबंधित औद्योगिक क्षेत्र मंडलों को क्षेत्र के रखरखाव के लिए देने का निर्णय किया गया है। मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र मंडल के योगदान के तहत लगभग 33.24  करोड़ रुपए संबंधित 59 औद्योगिक क्षेत्र मंडलों को रखरखाव फंड के तहत आवंटित करने का अनुमान है। 
श्री थेन्नारसन ने कहा कि मुख्यमंत्री  विजय रूपाणी ने कोविड-19 के चलते पैदा हुई प्रतिकूल आर्थिक स्थिति का सामना कर रहे राज्य के लघु और मझौले उद्योगों को फिर से पटरी पर लाकर आर्थिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए दिखाई गई यह संवेदना उद्योगों के लिए प्रोत्साहक साबित होगी। 
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