गुजरात : कोरोना महामारी के बीच भी बच्चों को जबर्दस्ती स्कूल बुलाने वाली स्कूल पर FIR करने की अभिभावकों की मांग, एचसी को लिखा पत्र

DEO को सभी स्कूल की जांच करने की मांग की, स्कूल जाने के कारण बालक के कोरोना संक्रमित होने पर इलाज का पूरा खर्च स्कूल द्वारा उठाने की मांग की

देश भर में कोरोना महामारी के केस काफी कम हो चुके है। जिसके चलते सरकार ने कई तरह की छुट दी है। गुजरात में भी कोरोना महामारी के केसों को कम होता देख सरकार द्वारा दो चरण में कक्षा 9 से 12 तक की स्कूलों को खोल दिया गया है। हालांकि स्कूल खोलने के बाद भी सरकार द्वारा छात्रों की उपस्थिती ऐच्छिक रखी गई है। हालांकि इसके बीच कई शिकायतें सामने आई है कि स्कूलों द्वारा बच्चों को भेजने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इसके चलते सूरत के ऑल स्टूडेंट एंड पेरेट्स वेलफेर असोशिएशन द्वारा गुजरात हाईकोर्ट चिग जस्टिस को एक पत्र लिखा गया है। जिसके उन्होंने उन सभी स्कूलों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज करने कि मांग की है, जो छात्रों को जबरन स्कूल भेजने के लिए छात्रों पर दबाव बना रही हो। 
पत्र में अपील की गई है सभी स्कूलों द्वारा सरकार के नियमों का सख्ती से पालन हो और वर्ग में मात्र 50 प्रतिशत छात्रों को लेकर अन्य 50 प्रतिशत छात्रों को ऑनलाइन क्लास के जरिये ही शिक्षण दिया जाये। इसके अलावा जो स्कूल भी अभिभावकों पर छात्रों को भेजने के लिए दबाव बनाए उनके खिलाफ एफ़आईआर दर्ज करने की मांग की गई है तथा इन स्कूलों के खिलाफ सरकार भी कड़े कदम उठाए। 
पत्र में यह भी अपील की गई है कि यदि कोई स्कूल छात्र या किसी शिक्षक के कोरोना संक्रमित होने कि बात को छिपाता है तो उसके खिलाफ भी तुरंत कार्यवाही करते हुये स्कूल को बंद किया जाये और महामारी के प्रभाव तक उस स्कूल को ओफलाइन पढ़ाई करवाने की अनुमति ना दी जाये। अभिभावकों ने और भी कई तरह की मांग की है, जैसे की यदि स्कूल जाने के बाद बालक या बालक के कारण उसके परिवार का कोई भी सदस्य कोरोना संक्रमित होता है तो उसका पूरा खर्च स्कूल तथा सरकार उठाए। ऑफलाइन पढ़ाई करवाने वाली स्कूल सभी एसपीओ का पालन करे। इसके अलावा DPEO तथा DEO हर स्कूल में निश्चित अंतराल पर जाकर चेकिंग करे। 
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