
गुजरात : वरणा गांव का विशेष वन उत्सव, ग्रामीणों ने 1500 से अधिक पेड़ लगाने का लिया संकल्प
By Loktej
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जामनगर के खोबा जेवड़ा गांव का समुद्र जैसा दिल : पौधरोपण के लिए जुटाए 15 लाख रुपये
वृक्षारोपण में छोटे बालकों को जोड़कर एक-एक वृक्ष का महत्सव समझाया जाता है, ताकि आने वाली पीढ़ी पेड़ के महत्व को समझे
मानव जीवन में वृक्ष का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। पालने से लेकर चीते की लकड़ी तक और बच्चों के खिलौनों से लेकर दादा की छड़ी तक, पेड़ हमेशा मानव जीवन की एक प्रमुख आवश्यकता रही है। यह कहना गलत नहीं है कि भारतीय संस्कृति का पालन-पोषण पेड़ों के पालने में होता है। वृक्षों की पूजा करने से हम भारतीयों का प्रकृति से गहरा लगाव है। जामनगर के खोबा जेवडा जैसे गांव यथार्थ साबित कर दिखाया है। वरणा के ग्रामीणों ने पेड़ों से इतना लगाव महसूस किया कि उन्होंने अनायास ही पच्चीस पचास नहीं बल्कि एक हजार पेड़ लगाए और प्रकृति माँ के चरणों में अपना मूल्य अर्पित किया।
बात जामनगर जिले के वरणा गांव की है जहां की आबादी महज बारह सौ है। ग्रामीणों की एक बैठक थी जो मुख्य रूप से खेती में लगे हुए थे और पास के बड़े शहरों में चले गए थे और सर्वसम्मति से देश में किसी अन्य की तरह एक वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया। ग्रामीणों ने इस विशाल वन उत्सव के लिए धन जुटाना शुरू कर दिया और ग्रामीणों को पेड़ों से प्यार हो गया। साथ ही दरियादिली से यह फंड पल भर में बढ़कर 15 लाख रुपये हो गया। जिसमें से साढ़े सात लाख पेड़ और पिंजड़े खरीदे गए और 3 लाख रुपये में एक ट्रैक्टर खरीदने के साथ पेड़ों के बड़ा होने तक उसके देखरेख की व्यवस्था की गई। उसके बाद गांव वालों ने पसीना बहाया और गांव के चारों ओर खुले मैदानों, जमीन और सड़क के दोनों किनारों पर मबलख के पेड़ लगाने लगे। देखते ही देखते 1500 वृक्ष लगा दिये गये।
वृक्षारोपण कार्यक्रम में गांव के छोटे से लेकर बड़े तक सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। साथ ही आने वाली पीढ़ी को पेड़ के महत्व से अवगत कराने का भी ख्याल रखा ताकि हर बच्चा वृक्षारोपण के महत्व को समझ सके।
आमने-सामने बातचीत के दौरान वरणा के ग्रामीणों ने कहा कि हमने तीन साल पहले से योजना बनाई है और एक टीम के रूप में हमने इस साल पंद्रह सौ पेड़ लगाने का फैसला किया है। जिसके लिए ट्रैक्टर, जेसीबी, पानी आदि की व्यवस्था की गई है और गांव के बंजर क्षेत्र को साफ कर दिया गया है। इसी का नतीजा है कि आज हमने गांव के चारों ओर करीब 1500 पेड़ लगाए हैं। यदि सभी गांव इस प्रकार के वृक्षारोपण को अपनाएं तो निश्चित रूप से पर्यावरण में बहुत सकारात्मक बदलाव आएगा।
वरणा गांव की तरह अगर देश का हर गांव इस तरह से पेड़ों के महत्व को समझे और ज्यादा से ज्यादा पेड़ों की रक्षा करे तो प्रदूषण, सूखा, ग्लोबल वार्मिंग आदि कई समस्याएं देश से स्थायी रूप से खत्म हो जाएंगी और गांव फिर से नंदनवन बन जाएंगे।
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