गुजरातः सेवानिवृत्त शिक्षक जसुभाई पटेल सब्जियों की खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने

गुजरातः सेवानिवृत्त शिक्षक जसुभाई पटेल सब्जियों की खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित बागवानी विभाग योजना द्वारा जसुभाई को प्रोत्साहित किया गया

दुधी (लौकी), करेला सहित की सब्जियों की खेती कर लाभ कमा रहे हैं
राज्य भर में सरकार द्वारा बागवानी को अत्यधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। किसान को बुवाई से लेकर बिक्री तक हर कदम पर सरकार द्वारा प्रोत्साहित और सहायता प्रदान की जा रही है। उस समय महिसागर जिले के किसान भी सरकार के प्रोत्साहन से बागवानी की आधुनिक विधियों, नई फसलों और खेती के लिए नवीन विचारों के माध्यम से बागवानी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। उस समय, महिसागर जिले के वीरपुर तालुका के रतनकुवा गाँव के एक प्रगतिशील सेवानिवृत्त किसान जसुभाई रामभाई पटेल, सेवानिवृत्ति के बाद बागवानी में विभिन्न प्रायोगिक खेती कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी जमीन में वैज्ञानिक तरीके से बागवानी दूधी (लौकी)-करेला सहित सब्जियां उगाकर आर्थिक रुप से समृद्ध होने के  साथ सफलता की सीढ़ी चढ़कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।
उत्साही प्रगतिशील किसान जसुभाई पटेल पहले परंपरागत रूप से कपास, मक्का और बाजरा की खेती करते थे। उप निदेशक उद्यान महीसागर के कार्यालय से संपर्क कर एवं बागवानी सब्जी की खेती के लिए मार्गदर्शन प्राप्त कर आधुनिक सब्जी की खेती की ओर रुख किया है।  परंपरागत खेती में पहले की पुरानी व्यवस्था से लागत बढ़ने से उपज भी कम होती थी। उन्होंने बागवानी विभाग से प्रेरणादायी भ्रमण एवं प्रशिक्षण प्राप्त कर बागायत विभाग की खेती लक्षीय विविध जानकारी प्राप्त कर वैज्ञानिक तरीके से सब्जियों की खेती के लिए प्रेरित हुए।
प्रगतिशील सेवानिवृत्त शिक्षक किसान जसुभाई रामाभाई पटेल का कहना है कि यदि सब्जी फसलों की आधुनिक उन्नत खेती के तरीकों को अपनाया जाए, तो कम समय में उच्च गुणवत्ता वाली अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। साथ ही  तरबूज, फूलगोभी, पत्ता गोभी, टमाटर करेला  जैसे सब्जियों की खेती करके अधिक आय अर्जित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि  अपनी भूमि में उद्यान विभाग से मार्गदर्शन प्राप्त कर आधुनिक कृषि पद्धति अपनाकर विभिन्न मूल्यवर्द्धित सब्जियों की खेती कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहा हूं। करेले की सीजन खत्म हो गया है। वर्तमान में उन्हें दुधी (लौकी) की खेती में अच्छी उपज मिल रही है और वर्तमान में केले की खेती भी कर रहे है। उन्होंने किसानों से बागवानी विभाग की विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर लाभ लेने की अपील की।
जैसे ही उन्हें कृषि वैज्ञानिकों से नवीनतम तकनीक की जानकारी हुई, उन्हें बागवानी विभाग से तरबूज, फूलों की खेती, मल्चिंग, संकर बीज और अर्ध-कच्चे मंडप के लिए विभिन्न योजनाओं के लिए 50 प्रतिशत से 65 प्रतिशत प्रोत्साहन सहायता मिली। सब्जी फसलों में टपक-सिंचाई, एकीकृत पोषण प्रबंधन, एकीकृत कीट नियंत्रण, ग्रेडिंग प्रणाली आदि की जानकारी और इसे कृषि प्रणाली में लागू करने से जैविक खेती, जैव का उपयोग करके रासायनिक उर्वरकों की लागत और रासायनिक उर्वरकों की लागत में भी कमी आएगी। -खाद, सूक्ष्म पोषक उर्वरक गिरावट के साथ, जसुभाई पटेल अब कुल मिलाकर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 3 बीघा जमीन में दूधी (लौकी), करेला की सब्जियां लगाई हैं, जिससे उन्हें अब तक करीब 500  मन जितना उत्पादन मिला है। अभी भी दुधी की आवक चालू है। बीज, खाद, दवा और श्रम की लागत 13,000 रुपये आंकी गई है। जिसमें से दुधी 10 रुपये प्रति किलो  बिक रहा है। अब तक लगभग  1 लाख की कमाई की है। खेती के खर्च को छोड़कर, 87 हजार का मुनाफा हुआ है। इसी प्रकार करेला में भी 30 हजार का मुनाफा हुआ है।
इस प्रकार प्रगतिशील सेवानिवृत्त शिक्षक किसान जसुभाई रामाभाई पटेल अपनी समृद्धि का श्रेय सरकार की विभिन्न बागवानी योजनाओं को देते हैं। सरकार के बागवानी विभाग की टपक सिंचाई, मल्चिंग, अर्ध-कच्चा मंडप आदि से संबंधित सहायता प्राप्त की गई है। किसानों का परिश्रम एवं संवेदनशील तथा दूरदर्शी मुख्यमंत्री के निर्णय के समन्वय से ही गुजरात के कृषि उत्पादन में वृद्धि, विकास और गुणवत्ता का त्रिवेणी संगम देखने को मिल रही है। इसके लिए सरकार की किसान कल्याण लक्षीय विविध प्रोत्साहक योजना के बारे में आभार व्यक्त किया।
Tags: Gujarat