दुनिया का सबसे बड़ा मियावाकि जंगल गुजरात के वलसाड में, 27 दिनों में लगाये गए सवा लाख वृक्ष

दुनिया का सबसे बड़ा मियावाकि जंगल गुजरात के वलसाड में, 27 दिनों में लगाये गए सवा लाख वृक्ष

जापान की पद्धति से 10 गुना अधिक तेजी से होगी पेड़ों की वृद्धि, 60 विभिन्न प्रकार के पेड़ों का किया गया रोपण

गुजरात के वलसाड के पास बना कूत्रिम जंगल आजकल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मात्र 27 दिनों के अंदर नारगोल गाँव के समंदर के किनारे बनाया बनाया गया यह जंगल विश्व का सबसे बड़ा मियावाकी जंगल बन चुका है। जिसमें लगभग सवा लाख वृक्षों को लगाया गया। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, वलसाड के नारगोल में जापान की मियावकी पद्धति से दुनिया के सबसे बड़े और समंदर किनारे आए हुये जंगल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। यहाँ मात्र 27 दिनों में ही 1 लाख 20 हजार से भी अधिक वृक्ष लगाया गए है। नए बने इस जंगल के कारण समंदर किनारे की सुंदरता में और भी चार चाँद लग चुके है, जिसके चलते यह पर्यावरण प्रेमी और पर्यटकों में काफी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 
बता दे की इस इलाके में खारे पानी के कारण बावल के पौधे के अलावा कोई अन्य कोई पौधा नहीं होता था। पर गाँव के उत्साही सरपंच कांतिलाल कोतवाल और पंचायत बॉडी की दीर्घदृष्टि के साथ यहा मीठे पानी के तालाब बनाए गए। इसके बाद निचले इलाकों में माटी भर कर जमीन को समतल किया गया। इसे बाद यहाँ सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था करनी पड़ी। इस कार्य को सफल बनाने के लिए एनवायरों एंड फॉरेस्ट क्रिएटर फाउंडेशन मुंबई के स्थापक दिपेन जैन और सह-स्थापक डॉ आर के नायर ने भी काफी मेहनत की थी। 
बता दे की मियावकी पद्धति की शोध जापान के बोटेनिस्ट अकीरा मियावाकी ने 40 साल पहले की थी। इसलिए ही इस पद्धति को मियावकी फॉरेस्ट पद्धति के नाम से जाना जाता है। इस पद्धति से में जंगल में काफी नजदीक पेड़ लगाए जाते है, जिसके चलते पेड़-पौधे काफी तेजी से बढ़ते है। जहां सामान्य पद्धति से पेड़ की वृद्धि 300 सालों में होती है, इस पद्धति से मात्र 30 से 35 सालों में पेड़ की वृद्धि हो जाती है। इस पद्धति से कम जगह पर बड़े और अधिक पेड़ होते है। फिलहाल इस जंगल में 60 विभिन्न प्रकार के पेड़ लगाए गए है। 

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