अहमदाबाद के अस्पताल में सर्वे; म्युकर मायकोसिस के 20% मरीज ऐसे जिन्हें कोरोना हुआ ही नहीं था!

अहमदाबाद के अस्पताल में सर्वे; म्युकर मायकोसिस के 20% मरीज ऐसे जिन्हें कोरोना हुआ ही नहीं था!

बीमारी के 70 प्रतिशत मरीज है डायाबिटिस का शिकार, 10 प्रतिशत मरीजों की उम्र 45 से नीचे

देश भर में कोरोना के बाद म्युकर मायकोसिस महामारी से लोग परेशान है। कोरोना से ठीक होने के बाद होने वाली इस महामारी के बारे में एक और सच्चाई सामने आई है। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में हुये एक सर्वे में पता चला है की कई मरीज तो ऐसे भी है, जिन्हें कोरोना बीमारी ही नहीं थी। बता दे की अहमदाबाद में सिविल अस्पताल में अब तक 1011 जीतने म्युकर मायकोसिस के मरीज दर्ज हो चुके है, जिसमें से 77 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है
इन मरीजों के ऊपर किए एक सर्वे में सामने आया कि लगभग 20 प्रतिशत किस्सों में तो म्युकर मायकोसिस के मरीजों को कभी कोरोना हुआ ही नहीं था। मतलब कि हर पाँच में से एक आदमी बिना कोरोना संक्रमित हुये म्युकर मायकोसिस का शिकार हुआ है। हालांकि इसके बारे में ऐसा भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कि इन लोगों को कोरोना हुआ भी हो और वह ठीक भी हो गए हो। पर उन्होंने कोरोना की रिपोर्ट निकलवाई ही ना हो। इन सभी मरीजों में 80 प्रतिशत मरीज ऐसे थे, जिन्हें डायाबिटिस की बीमारी भी है। इसके अलावा सभी मरीजों में 10 प्रतिशत मरीज 45 साल से कम उम्र के थे। 
सिविल में म्युकर मायकोसिस के अब तक के सभी मरीजों में 17 मरीजों की आँख निकालनी पड़ी है। वहीं 160 से भी अधिक लोगों के दाँत और जबड़े निकालने पड़े है। म्युकर मायकोसिस के 70 प्रतिशत मरीज 45 से 65 के बीच थी। जबकि 20 प्रतिशत मरीजों की उम्र 65 साल या उससे अधिक थी। फिलहाल तो सिविल अस्पताल में मरीजों की संख्या भी कम हुई है, जिसके चलते डॉक्टरों ने भी राहत की सांस ली है। जहां पहले हर दिन डॉक्टरों को 35 सर्जरी करनी पड़ती थी, वहीं अब अधिक से अधिक 15 सर्जरी करने की नौबत आती है। 
पहले हर दिन अस्पताल में म्युकर मायकोसिस के 40 से 50 नए मरीज भर्ती होते थे। पर अब हर दिन लगभग 10 या 20 मरीज ही आते है। इन सबके अलावा इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन की भी अब कमी नहीं है।