कोरोना काल में गुजरात से खूब उड़ीं एयर एम्ब्यूलेंस

कोरोना काल में गुजरात से खूब उड़ीं एयर एम्ब्यूलेंस

मात्र अहमदाबाद और सूरत से ही निकली 70 से अधिक फ्लाइट

देश भर में अप्रैल और मई के महीने में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने काफी लोगों को प्रभावित किया था। मात्र दो महीने में एक अकेले गुजरात में ही 5 लाख से अधिक केस दर्ज हुये थे, जबकि इस दौरान 5 हजार से भी अधिक लोगों की जान चली गई। इन दो महीनों में ही कई गंभीर मरीजों को एयर एम्ब्युलेंस द्वारा अन्य जगहों पर ले जाना पड़ा था। परिस्थिति इतनी खराब थी की एयर एम्ब्युलेंस के लिए भी 5 से 7 दिन का वेटिंग चल रहा था। गुजरात में खास कर के अहमदाबाद और सूरत से 70 से अधिक मरीजों को एयर एम्ब्युलेंस कर मुंबई, चेन्नई जैसे शहरों में ले जाया गया था। 
एयर एम्ब्युलेंस में डॉक्टर-सपोर्ट स्टाफ की टीम के अलावा ऑक्सीज़न सहित तमाम सुविधा होती है। आम तौर पर हर महीने में 5 से 7 मरीजों को एयर एम्ब्युलेंस द्वारा ले जाया जाता था। पर कोरोना के काला में एयर एम्ब्युलेंस से मरीजों को ले जाने वाली फ्लाइट में 5 से 6 गुना इजाफा हुआ। कोरोना के कारण कई लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन होने के मामले सामने आए थे। ऐसे में इन्फेक्शन अधिक फैले उसके पहले ही कई मरीजों को एयर लिफ्ट कर मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद की अस्पतालों में भर्ती करवाया गया था। 
एक चार्टर्ड कंपनी में कम करने वाले कैप्टन कौशल सोहागिया के अनुसार, अप्रैल और मई महीने में एयर एम्ब्युलेंस का काफी इस्तेमाल हुआ था। मरीजों को ले जाने के लिए उनके पास काफी मर्यादित एयरक्राफ्ट थे। एयर एम्ब्युलेंस में मरीजों को ले जाने के पहले कई तरह के नियमों का पालन भी करना पड़ता है। जैसे की कलेक्टर की अनुमति, हॉस्पिटल का रिलीज और एक्सेपटंस लेटर और अनन्य कई तरह की कागजी कार्यवाही। इसके अलावा इसमें एक स्पेशल एयरक्राफ्ट की जरूरत होती है, जिसमें बबल होता है। जिसके बिना कोरोना के मरीज को ले जाना मुश्किल होता है। इसके अलावा मरीज की रिपोर्ट, सिटी स्कैन और कोरोना की रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ही तय कर सकता है की उसे फ्लाइट के द्वारा ले जाया जा सकता है या नहीं।