गुजरात : कोरोना टीकाकरण की सफलता के आड़े आ रही लोगों में व्याप्त अंधश्रद्धा, प्रशासन के लिये चुनौती

सुबह से ही टीकाकरण केंद्र पर बैठकर कर्मचारी करते है लोगों का इंतजार, कई लोग कर रहे है सरकार द्वारा घर-घर टीकाकरण शुरू करने का इंतजार

देश भर में कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में टीकाकरण सबसे अधिक महत्वपूर्ण हथियार है। सरकार द्वारा हर जगह टीकाकरण का कार्य तेजी से शुरू किया है। हालांकि अभी भी टीकाकरण के इस कार्य में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। कई जगहों पर वैक्सीन को लेकर लोगों में फैली अंधश्रद्धा के कारण भी लोग टीका लगवाने से दूर भाग रहे है। कई लोगों का मानना तो है की टीका लेने से मृत्यु भी होती है। गुजरात में भी खास करके सौराष्ट्र के कई इलाकों में वैक्सीन को लेकर कई तरह की अंधश्रद्धा चल रही है। 
बात करे अमरेली के लाठी तहसील के दुधाला गाँव में तो यहा टीकाकरण केंद्र पर सुबह से ही आरोग्य विभाग के कर्मचारी मौजूद रहते है। पर गाँव के लोग टीका लगवाने के लिए आते ही नहीं है। अगर आरोग्य विभाग के कर्मचारियों की माने तो कई तरह की गलत मान्यताओं के कारण लोग टीकाकरण के लिए नहीं आ रहा। गाँव के सरपंच और उप-सरपंच तथा उच्च अधिकारियों ने भी लोगों को टीकाकरण के लिए समजाया पर फिर भी कोई आगे नहीं आया। फिलहाल गाँव में 45 प्रतिशत लोगों ने टीके का पहला डोज़ लगवा लिया है, पर अब दूसरा डोज़ लेने के लिया मना कर रहे है। 
एक और ऐसे ही गाँव है वलसाड के कपराड़ा में आया हुआ नानापोन्धा गाँव, जहां 18 से 44 साल के लोगों के लिए टीकाकरण कार्य चालू हो गया है। जब सेंटर से दूर 200 मीटर दूर आए लोगों से जब पूछा गया कि उन्होंने वैक्सीन क्यों नहीं ली तो सबके पास अपने अलग-अलग कारण थे। कई लोग कह रहे है कि सरकार द्वारा यदि घर-घर आकर वैक्सीन दी जाये तो वह वैक्सीन लेंगे। तो वहीं कई लोगों का कहना है कि वैक्सीन लेने के बाद क्या होगा उन्हें इस बारे में डर लग रहा है की टीका लेने के बाद क्या होगा। 
कई लोग तो कह रहे थे की वैक्सीन लेने के बाद व्यक्ति की मौत हो जाती है। तो कई लोग वैक्सीन को डुप्लीकेट भी बता रहे है। यदि सरकार द्वारा जल्द से जल्द इस तरह की अंधश्रद्धाओं का भंग नहीं किया गया तो हालत और भी अधिक खराब हो सकती है।