गुजरात: कोरोना के कम हुए असर को देखते हुए निचली अदालतों को प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने का आदेश

गुजरात: कोरोना के कम हुए असर को देखते हुए निचली अदालतों को प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू करने का आदेश

अदालत को पालन करने होने कोरोना संबंधित सारे दिशानिर्देश

देश भर में फैले कोरोना महामारी का असर धीरे धीरे कम हो रहा हैं। हर दिन संक्रमित मामलों की संख्या और कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या भी कम हो रही हैं। इसी बीच वैक्सीनेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी हैं कोरोना के घटते मामलों के बीच हाईकोर्ट ने गुजरात की सभी निचली अदालतों में प्रत्यक्ष सुनवाई शुरू कर अदालतों को पूरी तरह से काम करने का निर्देश दिया है। राज्य के सभी जिलों में कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में होने के कारण निचली अदालतों को फिर से खोलने का निर्णय लिया गया है। हालांकि हाईकोर्ट में प्रत्यक्ष सुनवाई फिर से शुरू करने पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
आपको बता दें कि फिजिकल कामकाज या प्रत्यक्ष सुनवाई के दौरान अदालत में कुछ खास नियमों का पालन करना अतिआवश्यक रहेगा। सभी निचली अदालतों को निर्देश दिए गए हैं कि बिना मास्क के किसी भी सदस्य को प्रवेश ना दिया जाए। इसके साथ साथ सभी न्यायाधीशों, वकीलों और पक्षों को थर्मल चेकिंग के बाद ही अदालत में प्रवेश दिया जाए। प्लेक्सीग्लस या एक्रेलिक शीट को जजों और स्टाफ टैब पर रखा जाएगा। बिना काम के आने वालों और आगंतुकों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। कोर्ट में आने वाली फाइलों और दस्तावेजों को 3 घंटे के लिए अलग-अलग जगह पर रखने का निर्देश दिया गया है और उसके बाद ही इसे छूने का नियम बनाए रखा गया है. इसके अलावा, अदालत परिसर में बार-बार छुआ जाने वाले क्षेत्रों जैसे सीडीओ पर हाथ की रेलिंग, डोप हैंडल, कुर्सियां, केस फाइलिंग विंडो आदि को दैनिक आधार पर साफ करना होगा।
इन सबके अलावा कैंटीन में सिर्फ पानी, चाय-कॉफी और पैकेज्ड फूड ही रखा जाएगा। हाईकोर्ट की ओर से जारी सर्कुलर में निर्देश दिया गया है कि माइक्रोकंटेनमेंट जोन को छोड़कर सभी इलाकों में 7 जून से कोर्ट पूरी तरह से खुल जाएं और माइक्रोकंटेनमेंट जोन में कोर्ट ऑनलाइन जारी रहें।
इसके अलावा, सभी पक्षों की सहमति और अदालत के निर्देशानुसार जज की मंजूरी से ऑनलाइन सुनवाई की जा सकती है। यह भी बताया गया है कि एसपी उच्च न्यायालय के परिपत्र के गुजराती अनुवाद के अलावा, प्रधान जिला न्यायाधीशों के साथ-साथ प्रधान न्यायिक अधिकारी उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना सीधी सुनवाई से संबंधित कोई अलग परिपत्र जारी नहीं करेंगे।