गुजरात की इस महलनुमा जेल में कैद है सिर्फ एक कैदी, जानिए इस जेल के बारे;

गुजरात की इस महलनुमा जेल में कैद है सिर्फ एक कैदी, जानिए इस जेल के बारे;

एक कैदी की सुरक्षा में 5 जवान और 1 जेलर को तैनात

सामान्य तौर पर, आपने देश में जेलों और कैदियों की स्थिति के बारे में कई बातें सुनी होंगी। अगर आप इस बारे में सामान्य जानकारी रखते है तो आपको यह पता होगा कि  देश में कैदियों की संख्या अधिक है और उसी के अनुसार जेलों में बैरक की संख्या कम है। लेकिन मजे की बात यह है कि भारत में एक ऐसी जेल भी है, जहां एक ही कैदी सजा काट रहा है।  जेल भी महल की तरह है पर पानी के बीच में स्थिर है।
हम जिस उप-जेल की बात कर रहे हैं वोबकेंद्र शासित प्रदेश दीव में स्थित है। इस जेल की भव्यता देखने लायक है। समुद्र के बीच बसा यह जेल हाउस बेहद खूबसूरत लगता है। एक समय यह जगह पुर्तगाली उपनिवेश का हिस्सा था। जेल की इमारत करीब 472 साल पुरानी है।  सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस जेल में दीपक कांजी नाम का एक ही कैदी है। दीपक 30 साल के हैं। उस पर पत्नी को जहर देने का आरोप है।  हालांकि दीपक यहां कई दिनों से मेहमान नहीं हैं।  दरअसल, दीपक के मुकदमे के बाद उन्हें दूसरी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लंबे समय से इस जेल को पर्यटन स्थल बनाने की कवायद में लगा हुआ है।
(Photo Credit : PrimeGujarat)
आपको बता दें कि यहां कांजी कैदी के रूप में अकेले जेल में रहता है। उनकी सुरक्षा में 5 जवान और 1 जेलर को तैनात किया गया है। सबकी ड्यूटी शिफ्ट के अनुसार तय होती है। हालांकि 2013 में जेल को बंद घोषित कर दिया गया था। कुछ साल पहले यहां 2 महिलाओं समेत 7 कैदियों को रखा गया था। लेकिन फिर उनमें से 4 को गुजरात की अमरेली जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
अमरेली जेल दीव से 100 किमी दूर है।  एक पुल गुजरात और दीव के तट को जोड़ता है।  4 बंदियों के तबादले के बाद 2 बंदियों की सजा पूरी हो गई, इसलिए उन्हें भी रिहा कर दिया गया।  ऐसे में सिर्फ दीपक कांजी ही बचे हैं।
दीव जेल में ड्यूटी पर तैनात जवानों का कहना है कि एक कैदी के लिए जेल में समय बिताना बहुत मुश्किल हो जाता है। आंकड़े बताते हैं कि सरकार दमन और दीव में प्रत्येक कैदी पर 32,000 रुपये खर्च करती है, जो अन्य राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है।
खास बात यह है कि दीपक जिस बैरक में रहता है, उसमें 20 कैदियों की क्षमता है। कैदी होने के नाते उनके लिए पास के ही एक रेस्टोरेंट में खाने की भी व्यवस्था की गई है।  जेल में उसे कुछ समय के लिए टेलीविजन और अन्य आध्यात्मिक चैनल देखने की अनुमति है। जेल में गुजराती अखबार और पत्रिकाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके अलावा वह शाम 4 बजे से शाम 6 बजे के बीच दो जवानों के साथ खुली हवा में चल भी सकता है।