प्रेरक कहानी: मॉ तु मरने वाली हो तो ऑपरेशन मत करवाना

प्रेरक कहानी: मॉ तु मरने वाली हो तो ऑपरेशन मत करवाना

175 किलो वजन होने के कारण चलना फिरना हो गया था मुश्किल, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मांगी थी इच्छामृत्यु

जहां एक और आजकल संतान अपने बूढ़े माता-पिता को उनके बूढ़े और कठिन समय में वृद्धाश्रम छोड़ आता है। वही कलयुग में श्रवण का अवतार कहा जा सके ऐसे एक पुत्र की बात आज हम करने जा रहे है। वडोदरा की रहने वाली शकुंतला बहन अपने बेटे को श्रवण के अवतार से कम नहीं मानती हैं। उन्होंने अपने बेटे और अपने जीवन का अनुभव को साझा करते हुये क्यों उनका बेटा आज के जमाने का श्रवण है, उसके बारे में जानकारी दी थी। 
न्यूज वैबसाइट gujjurocks.in की रिपोर्ट के अनुसार शकुंतला बहन का वजन 2 साल पहले 175 किलो था। वजन ज्यादा होने के कारण उनका चलना-फिरना भी मुश्किल था। जिसके चलते उन्हें अपना जीवन जीने में भी रस नहीं रहा। साल 2016 में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदी पटेल और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इच्छा मृत्यु की मांग की थी। जो कि अस्वीकार कर ली गई।
अपने वजन के कारण शकुंतला बहन बहुत ही चिंतित रहती थी। वह चल-फिर भी नहीं पाती थी। उन्होंने बताया कि जब 5 साल की थी तब उन्हें 1 दिन तेजी से बुखार आया। जब वह उपचार के लिए गई, तो वहाँ डॉक्टर ने शराब के नशे में उन्हें एक इंजेक्शन दिया था इसके बाद से उनकी समस्या शुरू हो गई। 22 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी। शादी के बाद दो बार उनका मिस कैरेज हुआ और तीसरी बार गर्भवती होने पर उन्हें बेटे का जन्म हुआ, जिसका नाम उन्होंने पार्थ रखा। पार्थ के जन्म के 1 साल बाद ही वह बीमार हो गई और उन्हें बेड पर ही लेट जाना पड़ा। इस दौरान उनके पति ने उनकी खूब सेवा की। बेटे पार्थ ने भी ढाई साल से ही माता की छोटी मोटी मदद करना शुरू कर दी थी। अब वह 16 साल का है। शकुंतला बेन पार्थ को कलयुग में श्रवण का अवतार मानती है। 
(Photo Credit : gujjurocks.in)
अपने जीवन के बारे में चर्चा करते हुए शकुंतला बेन कहती हैं कि 2006 में मुख्यमंत्री और हाल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वडोदरा आए थे तब मैंने उनका भाषण सुना था कि वडोदरा की सभी महिलाए मेरी बहन है। किसी को मदद की जरूरत हो तो मुझे पत्र लिखना, मैंने उन्हें मदद के लिए पत्र लिखा था लेकिन, कोई जवाब नहीं आया। मैं दिन प्रतिदिन मौत के मुंह में जा रही थी और मेरा परिवार मुझसे ज्यादा बर्दाश्त कर रहा था। अंत में मैंने प्रधानमंत्री से इच्छामृत्यु की मांग की। लेकिन वह अस्वीकार कर दी गई।
हालांकि उसके बाद मैंने वजन घटाने का प्रयास शुरू कर दिया। कहते हैं कि मजबूत मनोबल से सब कुछ किया जा सकता है। बस वही से मेरी दूसरी जिंदगी की शुरुआत हो गई। पादरा में एक हॉस्पिटल में मैंने चर्बी कम करने की सर्जरी करवाई और वहां मेरा वजन 115 किलो हो गया। लेकिन सर्जरी के पहले मेरे बेटे ने मुझे कहा कि मम्मी अगर तुम मर जाओगी तो ऑपरेशन मत कराओ मैं पूरी जिंदगी तुम्हारी सेवा करूंगा। ऑपरेशन सफल रहा और अब मेरा वजन 200 किलो से घटकर 69 किलो है। उन्होंने बताया कि कई बार तो मुझे आत्महत्या कर लेने का भी ख्याल आया था।
अपने वजन के कारण चारों ओर से परेशान हो गई थी। ऐसे में परिवार की आर्थिक स्थिति भी लाचार होने के कारण परेशानी और बढ़ गई थी। शकुंतला बहन ने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें सवेरे 8:00 बजे ग्रीन टी, नौ बजे आधा क्लास प्रोटीन पाउडर वाला दूध, 10 बजे गाजर या बीट का ज्यूस, 12:00 हल्का दाल भात और रोटी, तीन बजे वेजिटेबल सूप, सात बजे खिचडी या उपमा, नौ बजे आधा ग्लास दूध और 11 बजे ग्रीन टी ले रही हैं। अभी वह वडोदरा में फ्री फूड केम्पेन चला रही है। पहले वह तीन लोगों को भोजन नहीं बना रही थी अब तीन सौ लोगों को भोजन बना लेती हैं।