गुजरातः म्यूकरमाइकोसिस महामारी के उपचार प्रोटोकॉल में एकरूपता लाने 11 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टास्क फोर्स का गठन

गुजरातः  म्यूकरमाइकोसिस महामारी के उपचार प्रोटोकॉल में एकरूपता लाने 11 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टास्क फोर्स का गठन

डेंटल, ईएनटी, ऑप्थेल्मोलॉजी और मेडिसीन विभाग के सरकारी हॉस्पिटलों और मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ डॉक्टरों का समावेश

सूरत के सरकारी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के डॉ. आनंद चौधऱी का समावेश 
मुख्यमंत्री  विजय रूपाणी ने म्यूकरमाइकोसिस रोग के मरीजों के उपचार के लिए समग्र राज्य में एकरूपता बनाए रखने और त्वरित उपचार मुहैया कराने के उद्देश्य से 11 विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टास्क फोर्स के गठन का निर्णय किया है। इस टास्क फोर्स द्वारा लगातार परामर्श कर उपचार के प्रोटोकॉल और दिशा-निर्देश निर्धारित किए जाएंगे। 
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के वर्तमान दौर में राज्यभर में म्यूकरमाइकोसिस के मामले सामने आ रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने महामारी अधिनियम 1897 के तहत इस रोग को महामारी घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने सभी सिविल हॉस्पिटलों में विशेषकर अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर में इस रोग के संक्रमितों के लिए अलग से वार्ड शुरू किए हैं। स्वास्थ्य विभाग इस रोग से प्रभावित मरीजों को त्वरित उपचार सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्थाएं कर रहा है। मुख्यमंत्री ने इस रोग के दायरे को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य तंत्र को ताकीद की है कि वह शहरी और जिला स्तर पर विशेष ध्यान दे। यही नहीं, इस बीमारी के उपचार के लिए आवश्यक इंजेक्शन की सर्वव्यापी कमी होने के बावजूद राज्य सरकार ने अग्रिम और समुचित व्यवस्थाएं की हैं, जिसके कारण राज्य में म्यूकरमाइकोसिस रोग को फैलने से रोका जा सका है। 
म्यूकरमाइकोसिस महामारी के संदर्भ में राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने गुजरात में रोग से ग्रसित मरीजों के उपचार, आयु और लिंग समूह जैसे अन्य मामलों के संबंध में जो निष्कर्ष निकाला है। जिसके अनुसार राज्यभर में म्यूकरमाइकोसिस के अब तक दर्ज किए गए कुल मरीजों में से 81.6 फीसदी मरीज अभी राज्य के विभिन्न हॉस्पिटलों में उपचाराधीन हैं। वहीं, 14.3 फीसदी मरीज स्वस्थ हो चुके हैं तथा 4.1 फीसदी मरीजों की मृत्यु हुई है। 
आयु समूह की दृष्टि से देखें तो इस रोग के मरीजों में से मात्र 0.5 फीसदी मरीज 18 वर्ष से कम उम्र के, 28.4 फीसदी मरीज 18 से 45  वर्ष की उम्र के, 46.3  फीसदी मरीज 45 से 60 वर्ष की उम्र के जबकि 24.9  फीसदी मरीज 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। 
इस रोग का प्रसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा देखने को मिला है और अब तक दर्ज किए गए कुल मरीजों में से 67.1 फीसदी पुरुष जबकि 32.9  फीसदी महिला रोगी हैं। 
इस रोग से पीड़ित लोगों में से केवल 33.5  फीसदी मरीजों को कोरोना के उपचार के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी, जबकि 66.5 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं थी। 
इतना ही नहीं, दर्ज किए गए कुल मरीजों में से 59.00 फीसदी मरीजों के डायबिटीज, 22.1 फीसदी मरीजों के इम्यूनो कॉम्प्रोमाइज्ड तथा 15.2 फीसदी मरीजों के कोमोरबिड कंडीशन यानी पहले से ही गंभीर रोगों से ग्रस्त होने का मामला सामने आया है। 49.5 फीसदी मरीजों को कोरोना के उपचार के दौरान स्टेरॉयड थैरेपी दी गई थी जबकि 50.5 फीसदी मरीजों को स्टेरॉयड थैरेपी की जरूरत नहीं पड़ी थी। 
म्यूकरमाइकोसिस रोग के नियंत्रण के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित की गई टास्क फोर्स में डेंटल, ईएनटी, ऑप्थेल्मोलॉजी और मेडिसीन विभाग के राज्य के विभिन्न हॉस्पिटलों तथा मेडिकल कॉलेजों के 11 विशेषज्ञ डॉक्टरों का समावेश किया गया है। 
टास्क फोर्स में अहमदाबाद के सरकारी डेंटल कॉलेज के अतिरिक्त निदेशक एवं डीन डॉ. गिरीश परमार, बीजे मेडिकल कॉलेज, सिविल हॉस्पिटल के मेडिसीन विभाग के डॉ. कमलेश उपाध्याय, बीजे मेडिकल कॉलेज की ईएनटी डॉ. बेला प्रजापति, अहमदाबाद के एमएंडजे इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी की डॉ. हंसा ठक्कर, सूरत के सरकारी मेडिकल कॉलेज के मेडिसीन विभाग के डॉ. अश्विन वसावा, सूरत के सरकारी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के डॉ. आनंद चौधऱी, जामनगर के एमपी शाह मेडिकल कॉलेज के मेडिसीन विभाग के डॉ. बी.आई. गोस्वामी, राजकोट के पीडीयू मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग की डॉ. सेजल मिस्त्री, राजकोट के पीडीयू मेडिकल कॉलेज की ऑप्थेल्मोलॉजी विभाग की डॉ. नीति शेठ, भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के डॉ. सुशील झा तथा भावनगर के सरकारी मेडिकल के ऑप्थेल्मोलॉजी विभाग के डॉ. निलेश वी. पारेख को शामिल किया गया है। 
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