राजकोट का यह संगीत शिक्षक कोरोना और ब्लैक फंगस के मरीजों की इस तरह कर रहा है मदद

राजकोट का यह संगीत शिक्षक कोरोना और ब्लैक फंगस के मरीजों की इस तरह कर रहा है मदद

स्कूलें हुई बंद तो कोरोना अस्पताल में अटेंडेंट के तौर पर काम शुरू किया, मास्क और पीपीई किट पहन कर गाते है गाना

राज्य भर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण सभी परेशान है। कई लोग है जो महामारी में फंसे लोगों की यथा संभव सहायता कर रहे है। कुछ इसी तरह से अपनी सेवा दे रहे है राजकोट के मेहुल वाघेला, जो की कोरोना और ब्लैक फंगस के मरीजों को अपने संगीत के जरिये म्यूजिक थेरपी दे रहे है। 
मेहुल की काउंसेलिंग और संगीत की सफर काफी रसप्रद है। उनके पिता को कोरोना होने के बाद उनको समरस अस्पताल में भर्ती किया गया। मूल रूप से संगीत शिक्षक मेहुल के पास कोरोना के कारण स्कूलों के बंद होने से कोई काम नहीं था। जिसके चलते उन्होंने समरस में एक अटेंडेंट के तौर पर काम हासिल किया। जहां वह मरीजों की देखरेख करते हुये पापा को गाने सुनाते थे। इस बात की जानकारी जब प्रांत अधिकारी चरणसिंह गोहील के कानों गई तो उन्होंने मेहुल के बारे में अधिक जानकारी हासिल की। मेहुल का संगीत के प्रति जुनून देखकर उन्होंने मेहुल को काउंसेलिंग टीम में शामिल किया और उन्हें लोगों को संगीत थेरपी देने का काम किया। 
इसके बाद तो बस मेहुल हर दिन मरीजों को उनके पसंद के गाने सुनता और साथ में गिटार भी बजाता। मरीज भी अपना दर्द भूल कर मेहुल के साथ उसके सुर में सुर मिलाने लगते। मरीज किसी भी तरह के गाने की डिमांड करते मेहुल वह पूरी करते। मेहुल के साथ अन्य स्टाफ और अटेंडेंट भी अपना गाने का शोख पूरा कर लेते। बता दे की मेहुल कोरोना काल के पहले राष्ट्रिय स्कूल और सर्वोदय स्कूल में संगीत शिक्षक के तौर पर काम कर रहे थे। पर लोकडाउन के बाद उनके पास कोई काम नहीं था। 
मेहुल गिटार के अलावा हारमोनियम, की-बोर्ड और तबला भी बजा लेते है। लाइव परफॉर्मेंस के दौरान मेहुल लगातार तीन घंटो तक गाना गा सकते है। मेहुल कहते है की उनके पसंदीदा गायक सोनू निगम है और वह भजन भी गा सकते है। मेहुल कहते है की शुरुआत में तो उन्हें पीपीटी किट और मास्क पहन कर गाना गाने में और गिटार बजाने में कोई तकलीफ नहीं होती थी। पर अब वह आसानी से इस पर परफ़ोर्म कर सकते है।