गुजरात : ऑक्सीजन की डिमांड के आकंड़े दर्शा रहे हैं कोरोना की स्थिति कितनी विकराल है

गुजरात : ऑक्सीजन की डिमांड के आकंड़े दर्शा रहे हैं कोरोना की स्थिति कितनी विकराल है

दिवाली के समय में दैनिक मात्र 50 मेट्रिक टन का इस्तेमाल पहुँच गया 300 मेट्रिक टन के नजदीक

समग्र राज्य में पिछले 15 दिन से दिन-प्रतिदिन कोरोना के केस बढ़ते जा रहे है। कोरोना के बढ़ते केसों की विकरालता का अंदाजा हम बढ़ रहे ऑक्सीज़न की डिमांड से भी समज सकते है। पिछले कुछ दिनों से राज्य में ऑक्सीज़न की डिमांड में जबरदस्त इजाफा हुआ है। मंगलवार को एक ही दिन में पूरे राज्य में 330 मेट्रिक टन ऑक्सीज़न का इस्तेमाल हुआ था। जब से कोरोना महामारी फैली है, यह अब तक का रेकॉर्ड है। 
पिछले मार्च महीने से राज्य में कोरोना को लेकर हर दिन स्थिति बिगड़ती जा रही है। इसमें पिछले कई दिनों से तो कोरोना के केस तो लगातार रेकॉर्ड तोड रहे है। पिछले दो दिनों में तो यह आंकड़ा तीन हजार को पार कर गया है, इसके चलते सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में मरीजों की लाइन लग रही है। ऐसे में गंभीर मरीज की जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है मात्र उन्हें ही अस्पतालों में भर्ती किया गया है। 
राज्य के फूड एंड ड्रग्स कमिश्नर एच जी कोशिया ने बताया की मंगलवार को पूरे राज्य में 330 मेट्रिक टन ऑक्सीज़न इस्तेमाल हुआ था। जो की अब तक में सबसे ज्यादा माना जा रहा है। इसके पहले दिवाली के पहले कोरोना के केसों में काफी कमी आ गई थी। जहां रोज मात्र 50 मेट्रिक टन के आसपास पहुंचा था। इसके अलावा कोशिया ने बताया कि गुजरात इंडस्ट्रीयल राज्य है, जिसके चलते ऑक्सीज़न की कमी होने का प्रश्न ही नहीं होता। फिर भी सावधानी के तौर पर रोज उत्पादित होने वाले ऑक्सीज़न का 60 प्रतिशत मेडिकल इस्तेमाल के लिए रिजर्व रखने का अध्यादेश जारी कर दिया गया है। 
कोशिया ने बताया की फिलहाल गुजरात में रोज 1000 मेट्रिक टन का उत्पादन होता है। जिसमें से 60 प्रतिशत मेडिकल के लिए रिजर्व रखने के लिए कह दिया गया है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर दैनिक हजार मेट्रिक टन ऑक्सीज़न का इस्तेमाल भी किया जाएगा।