गुजरात : दुनिया भर के जहाज अलंग के कबाड़ी खरीदते हैं, लेकिन कोरोना ने पूरे शिप-ब्रेकिंग इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है!

गुजरात : दुनिया भर के जहाज अलंग के कबाड़ी खरीदते हैं, लेकिन कोरोना ने पूरे शिप-ब्रेकिंग इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है!

दुनिया भर के जहाजों को खरीदकर उसके अंगो को फिर से बनाकर बेचने वाले अलंग के कबाड़ियों की हालत लोकडाउन से खराब है। कोरोना के कारण अलंग के कबाड़ियों का बिजनेस वो नहीं हुआ, जिसकी उन्हें आशा थी। अलंग देश का सबसे बड़ा शिप ब्रेकिंग और रिसायकलिंग यूनिट है। जहां हर महीने कम से कम 15-20 जहाज टूटने के लिए आते थे। अब वहाँ अकाल छाया हुआ है। 
मुश्किल से आ रहे है जहाज
शिप रिसायकलिंग इंडस्ट्रीस असोशिएशन ऑफ इंडिया के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने बताया की जहां लोकडाउन के पहले हर महीने लगभग 15-20 जहाज टूटने आते थे। लोकडाउन के बाद मुश्किल से 5 से 7 जहाज आते है। जीएमबी द्वारा आवंटित किए गए 150 रिसायकलिंग प्लोट्स मे से कोरोना के पहले जहां 90 से अधिक प्लोट्स चल रहे थे, वही कोरोना के बाद घटकर 75 हो गए है। इसके अलावा भारत में बढ़े हुये स्टील की कीमतों की वजह से प्रतिस्पर्धी देशों के मुक़ाबले भारत में प्रति टन कम भाव दे पाने के कारण भी इस कारोबार में मंडी आई है। 
प्रदूषण में हुआ है काफी कटौती
हालांकि इस बीच एक अच्छी बात भी हुई है।  सेंट्रल सोल्ट एंड मरीन केमिकल्स इंस्टीट्यूट और एकेडेमी ऑफ साईंटिफ़िक एंड इनोवेटिव रिसर्च गाजियाबाद ने बताया कि दुनिया के सबसे बड़े शिप डिसमेंटल फेसिलिटी में कोरोना के कारण आई मंदी के कारण वहाँ एयर क्वालिटी इंडेस में काफी ज्यादा सुधार हुआ है। इसलिए उन्होंने हवा, समुदी पानी, रेती के कण का सैंपल भी लिया। 
40 साल का प्रदूषण 3 महीने में हुआ खतम
जीएमबी कि वाइस चेरमेन और सीईओ अवंतिका सिंह ने बताया कि प्रदूषण के स्तर में काफी ज्यादा हद तक कमी आई है। इसका अलावा जीएमबी के सीनियर एनवायरमेंट इंजीनियर अतुल शर्मा ने बताया कि संस्था द्वारा आसपास के पर्यावरण का पूरी तरह से स्केनिंग किया है। जिसमें यह सामने आया है कि 40 साल से जो प्रदूषण अलंग में हुआ था वह कोरोना के तीन महीने के लोक डाउन में ही सही हो गया। 
GMB की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 15 सालों में कुल 3906 जहाज और 33896 एमएमटी को अलंग में रीसाइकल हुये थे। पर कोरोना काल में काम बंद होने की वजह से यहाँ प्रदूषण काफी कम हुआ। एक रिपोर्ट में यह सामने आया है, जिससे की ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि मनुष्य प्रदूषण ना करे तो प्रकृति खुद को बड़ी आसानी से ठीक कर सकती है। 
आने वाले समय में काफी उपयोगी हो सकता है संशोधन
अमित चांचपरा, वासुदेवदत्ता, गौरव कुमार मेहता, तारिणी प्रसाद साहू, रविकुमार थोरट, सनक राय और सौम्य हल्दर ने यह संशोधन तब किया जब अलंग में शिप रिसाइक्लिंग करने का काम बिलकुल ही बंद था। संशोधकों द्वारा प्राप्त किए गए डाटा के आधार पर आने वाले समय में पर्यावरण कि सुरक्षा के नए मापदंड तय करने में काफी सहायता प्राप्त हो सकती है। 

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