गुजरात : अब हाईटेक हो रहा आम का कारोबार, बदलते समय की बलिहारी

गुजरात : अब हाईटेक हो रहा आम का कारोबार, बदलते समय की बलिहारी

ग्रेड के अनुसार आम का वर्गीकरण कर के बॉक्स खुलने की तारीख लिखने का भी बढ़ रहा हैं ट्रेंड, एक्सपोर्ट और प्रोसेसिंगमें केसर की डिमांड

देश विदेश में मशहूर सौराष्ट्र की केसर केरी को अभी आधुनिकता का स्पर्श मिल रहा है। केसर की बुआई से लेकर उसकी देखभाल करने और उसके ग्रेडिंग और मार्केटिंग के सभी कामों में कई नए नुस्क जुड़ रहे है। जिसके भाग स्वरूप अब उसकी ब्रांडिंग भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में इस गर्मी के मौसम में केसर केरी के 300 ब्रांड के बॉक्स में केसर केरी बिक सकती है। 

गुजरात के कई इलाकों में है केसर केरी के बगीचे

इसके पहले केसर मतलब तालाला और तालाला मतलब केसर ऐसा ही माना जाता है। जिसके बाद के साल में केसर केरी के उत्पादन में व्याप इतना बढ़ा की आज जामवाडा, सामतेर, खोरडी, ऊना और कोडिनार पंथक, भाखा सहित जूनागढ़ के काई गांवों में केसर केरी के पेड़ देखने मिलते है। तालाला में 13 हजार हेक्टर और अन्य सभी जगहों के लगभग उतने ही इलाके में मिलकर कुल 35 लाख जीतने आम के पेड़ होने का अंदाजा है। 
तालाला में गुजरात के बागायत खाता द्वारा संचालित इंडो इजराएल सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मेंगों संचालित है। जिसके द्वारा नई पद्दतियों का प्रसार किया जाता है। इन सभी के परिणाम स्वरुप हर दस में से सात स्थल पर हाइ डेंसीटी प्लांटेशन हो रहा है। इसके अलावा रिजुवेनेशन, मधु माखियों के झुंड की सहायता से परागनयन जैसी कई पद्धतिया भी आम बगीचों के मालिको द्वारा अपनाई जा रही है। 

बॉक्स खोलकर लिखने का भी बड़ा ट्रेंड

सेंटर के सीईओ विशाल हदवाणी मे कहा की इन सभी कारणों से उत्पादन काफी ज्यादा बढ़ गया है। मार्केटिंग स्किल की कमी और मार्गदर्शन के अभाव के कारण आज तक केसर केरी की ब्रांडिंग ही नहीं हुई थी। हालांकि पिछले तीन साल में बगीचों के मालिक द्वारा बॉक्स बनवाकर खुद के यहाँ ही पेकिंग कर के माल रवाना किया जाता है। 
गिर सोमनाथ और जूनागढ़ में ऐसे 300 जीतने किसान है। इसमें से कई तो ऐसे है, जिन्होंने तो बॉक्स खोलने की तारीख भी लिखने की शुरुआत कर दी है। एक अंदाज के अनुसार जूनागढ़ और सोमनाथ जिले में ही 200 से 250 जीतने किसान प्रोसेसिंग वाले हो गए है। किसान खुद अब रस निकालने की मशीन रखने लग गए है। 
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